फरीदाबाद/पटना:
मेडिकल साइंस की तरक्की ने इलाज की दुनिया में चमत्कार कर दिए हैं। पहले जहां बड़ी सर्जरी के बाद महीनों तक बिस्तर पर आराम करना पड़ता था, वहीं अब आधुनिक तकनीकों के जरिए मरीज कुछ ही दिनों में स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जीने लगते हैं। ऐसा ही एक मामला हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (मैरिंगो एशिया) में सामने आया, जहां बिहार के 95 वर्षीय बुजुर्ग का दोनों घुटनों का रोबोटिक तकनीक से ऑपरेशन किया गया, और वे अगले दिन से ही चलने फिरने लगे।
ऑपरेशन के अगुवाई में थे डॉ अनुराग अग्रवाल
ऑर्थोपेडिक एवं रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के प्रोग्राम क्लिनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि मरीज अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पा रहा था। दोनों घुटने गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त थे और पूरी तरह से बिस्तर पर सीमित हो चुके थे। उम्र अधिक होने की वजह से परिजन पहले सर्जरी को लेकर सशंकित थे, लेकिन समझाने पर वे तैयार हो गए।
हृदय रोग विशेषज्ञों की मंजूरी के बाद की गई सर्जरी
मरीज की उम्र को देखते हुए सर्जरी से पहले हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा पूरी जांच कराई गई। फिटनेस मिलने के बाद रोबोटिक तकनीक से दोनों घुटनों का एक साथ ऑपरेशन किया गया। सर्जरी के सिर्फ एक दिन बाद ही मरीज चलने-फिरने लगे और चार दिन बाद सीढ़ियां चढ़ना भी शुरू कर दिया।
क्यों खास है रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी?
डॉ अनुराग अग्रवाल ने बताया कि इस तकनीक में:
- छोटा चीरा (Minimal Invasion) होने की वजह से खून का नुकसान बहुत कम होता है।
- सटीक इम्प्लांट पोजीशनिंग होती है, जिससे घुटना लंबे समय तक ठीक रहता है।
- सॉफ्ट टिश्यू और हड्डी बहुत कम कटती है, जिससे रिकवरी बेहद तेज होती है।
सर्जरी में महज 2 घंटे का समय लगा और मरीज को ऑपरेशन के कुछ ही दिनों बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डिजिटल मैपिंग से होती है सर्जरी की प्लानिंग
डॉ विनीत विमल कर्ण और डॉ रोहित ठक्कर ने बताया कि रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी से पहले:
- हिप, घुटने और टखने का सीटी स्कैन किया जाता है।
- उस डेटा को कंप्यूटर में फीड कर ऑपरेशन की प्लानिंग की जाती है।
- इससे सर्जरी में बेहतर कंट्रोल और एक्यूरेसी मिलती है।
परिणामस्वरूप मरीज को कम दर्द होता है, जल्दी आराम मिलता है और घुटना लंबे समय तक चलता है।
बुजुर्गों के लिए वरदान है यह तकनीक
डॉक्टरों के अनुसार, रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी विशेष रूप से बुजुर्ग मरीजों के लिए बेहद सुरक्षित और प्रभावशाली साबित हो रही है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में इसमें:
- कम जटिलताएं
- बेहतर एलाइनमेंट
- ज्यादा संतुष्टि
- और जीवन की गुणवत्ता में तेजी से सुधार देखने को मिलता है।