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पटना। राजधानी के राजा बाजार स्थित पारस एमएमआरआई अस्पताल में भर्ती गैंगस्टर चंदन मिश्रा की गोली मारकर हत्या करने वाले पांचों शूटरों की तलाश में पुलिस ने पूरे राज्य में तलाशी अभियान तेज कर दिया है। एसआईटी और एसटीएफ की टीमें पटना के फुलवारीशरीफ, पटना सिटी, दानापुर से लेकर बक्सर और पश्चिम बंगाल के कई ठिकानों पर दबिश दे रही हैं।

घटना के कुछ ही घंटों बाद सीसीटीवी फुटेज से शूटरों की पहचान कर ली गई थी। इसके बाद से बिहार और बंगाल में 14 से अधिक स्थानों पर छापेमारी हो चुकी है। पुलिस अब तक शूटरों के रिश्तेदारों और करीबी सहयोगियों से पूछताछ कर चुकी है। हालांकि 36 घंटे बीतने के बावजूद न तो शूटरों की गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि हुई है, और न ही नाम उजागर किए गए हैं।

तकनीकी साक्ष्य के आधार पर तीन हिरासत में

एसआईटी ने तकनीकी जांच और मोबाइल सर्विलांस के आधार पर पटना और बक्सर से तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया है। हालांकि, इनसे हुई पूछताछ के बारे में पुलिस ने कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है।

कौन था चंदन मिश्रा?

चंदन मिश्रा बक्सर जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र स्थित सोनवर्षा गांव का रहने वाला था। वह मंटू मिश्रा का पुत्र था और उस पर बक्सर और आरा जिले के विभिन्न थानों में हत्या, रंगदारी, आर्म्स एक्ट समेत 25 से अधिक मामले दर्ज थे। वर्ष 2011 में हुए चर्चित व्यापारी राजेंद्र केशरी हत्याकांड में उसे उम्रकैद की सजा मिली थी। हाल में वह इलाज के लिए 15 दिन की पैरोल पर बाहर आया था।

सोशल मीडिया स्टार बना हत्यारोपी तौसीफ

चंदन मिश्रा की हत्या में शामिल एक नाम तौसीफ उर्फ ‘तौसीफ बादशाह’ का सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहा है। मूल रूप से पटना के फुलवारीशरीफ का निवासी तौसीफ शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल से पढ़ाई किया हुआ है। वह एक्स (पूर्व ट्विटर), इंस्टाग्राम और फेसबुक पर ‘तौसीफ बादशाह’ नाम से वीडियो और शायरी पोस्ट करता रहा है।

उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल पर फिल्मी डायलॉग से भरे रील्स हैं। एक रील में वह कहता है— “नाम से शहर डोलता है, ये हम नहीं अखबार बोलता है”, वहीं एक अन्य में — “जिस जंगल में तुम शेर बने घूमते हो, उस जंगल के बेखौफ शिकारी हैं हम” जैसे डायलॉग नजर आते हैं। बताया जा रहा है कि जेल से पेशी के दौरान भी उसके द्वारा बनाए गए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे।


चंदन मिश्रा हत्याकांड पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है। अपराधियों की डिजिटल सक्रियता और अंतरराज्यीय नेटवर्क जांच एजेंसियों के लिए नई जटिलताएं पैदा कर रही हैं।