न्यूयॉर्क: न्यूयॉर्क की एक संघीय अदालत ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका देते हुए उनके द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क (Reciprocal Tariffs) को अवैध घोषित कर दिया है और इन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश दिया है।
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ट्रंप प्रशासन ने आपातकालीन कानून का गलत उपयोग करते हुए साझेदार देशों पर शुल्क लगाए, जो संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उल्लंघन है। यह आदेश ट्रंप की व्यापार नीतियों के लिए एक गंभीर झटका माना जा रहा है।
न्यायालय ने कहा कि विदेशी व्यापार से जुड़े निर्णयों पर अंतिम अधिकार अमेरिकी कांग्रेस का है, न कि कार्यपालिका का। संविधान के अनुच्छेद I के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य को नियंत्रित करने की शक्ति केवल कांग्रेस को दी गई है। अदालत ने कहा कि आर्थिक आपातकाल की आड़ में राष्ट्रपति कांग्रेस के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं कर सकते।
फैसले में अदालत ने उन सभी टैरिफ पर भी रोक लगा दी है, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने पिछले महीने साझेदार देशों पर एक समान रूप से लागू किया था। कोर्ट ने आदेश के क्रियान्वयन के लिए 10 दिन का समय भी तय किया है।
इस फैसले के अंतरराष्ट्रीय प्रभावों को लेकर कई देशों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। भारत सरकार ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह अमेरिकी अदालत के इस निर्णय का विस्तृत विश्लेषण कर रही है और इसके भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर पड़ने वाले असर का मूल्यांकन करेगी।