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पटना, 22 जून।बिहार कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के सहारे एक नई इबारत लिख रहा है। विशेष रूप से केला उत्पादन के क्षेत्र में राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य सरकार के कृषि रोड मैप और टिश्यू कल्चर तकनीक के उपयोग से पिछले दो दशकों में केला उत्पादन में तीन गुना से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।

आंकड़ों में देखें तरक्की

  • 2004-05 में उत्पादन: 5.45 लाख मीट्रिक टन
  • 2022-23 में उत्पादन: 19.68 लाख मीट्रिक टन
  • खेती का रकबा: 27,200 हेक्टेयर से बढ़कर 42,900 हेक्टेयर
  • प्रति हेक्टेयर उत्पादकता: 20 मीट्रिक टन से बढ़कर 45 मीट्रिक टन
  • 2004-05 की तुलना में वृद्धि:
    • रकबा में: 58%
    • उत्पादन में: 261%
    • उत्पादकता में: 125%

टिश्यू कल्चर ने बनाई राह आसान

बिहार सरकार की फल विकास योजना के अंतर्गत टिश्यू कल्चर से तैयार जी-9, मालभोग और चीनिया किस्म के रोगमुक्त पौधों का प्रयोग किया गया। इन किस्मों की उपज अधिक होने के साथ-साथ वे बीमारियों से भी सुरक्षित होती हैं।

टिश्यू कल्चर तकनीक के जरिए खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा 1.25 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत पर 50% अनुदान यानी 62,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की राशि प्रदान की जाती है। वर्ष 2024-25 में अब तक 3,624 किसान इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं।

क्या है टिश्यू कल्चर विधि?

टिश्यू कल्चर एक आधुनिक वैज्ञानिक विधि है, जिसमें पौधों के ऊतकों को नियंत्रित परिस्थितियों में पोषक माध्यम पर विकसित किया जाता है। इस विधि से उगाए गए पौधे पारंपरिक विधियों की तुलना में अधिक सुरक्षित और उत्पादनक्षम होते हैं।

किसानों की आय में इजाफा, राज्य को आर्थिक मजबूती

बढ़ते उत्पादन और बेहतर तकनीक से न केवल किसानों की आमदनी में इजाफा हुआ है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। यह पहल बिहार को खेती में आत्मनिर्भर और टिकाऊ कृषि मॉडल की दिशा में अग्रसर कर रही है।


 

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