
पटना, बिहार | 18 मई 2025 — कभी जापान की पहचान रहे मियाजाकी आम अब बिहार के पटना जिले के मसौढ़ी प्रखंड में भी अपनी रंगत और स्वाद का परचम लहरा रहा है। कोरियावां गांव के प्रगतिशील किसान ललित कुमार सिंह ने इस दुर्लभ और बहुचर्चित आम को अपने खेत में उगाकर बिहार की खेती को वैश्विक नक्शे पर ला खड़ा किया है।
बेंगलुरु से पौधा, मसौढ़ी में सफलता
ललित कुमार सिंह ने मियाजाकी आम के पौधे बेंगलुरु से ₹500 प्रति पौधे की दर से मंगवाए थे। अब, वर्षों की मेहनत के बाद इन पौधों ने गुलाबी-बैंगनी चमक वाले फलों का रूप लेना शुरू कर दिया है। उनका कहना है:
“जब अपने खेत में इस आम को लहलहाते देखता हूं, तो लगता है मेहनत रंग लाई है। अब मसौढ़ी भी मियाजाकी आम के नक्शे पर है।”
आकर्षक रूप, शानदार स्वाद और अद्वितीय पोषण
इस आम की पहचान केवल इसके आकर्षक रंग तक सीमित नहीं है। इसमें पाए जाते हैं:
- बीटा-कैरोटीन, जो आंखों की रोशनी के लिए लाभकारी है
- फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट, जो शरीर को डिटॉक्स करते हैं
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तत्व
इसी कारण इसे दुनिया भर में “सुपरफूड” के रूप में भी देखा जाता है।
रखवाली में हाई-टेक इंतजाम
मियाजाकी आम की अंतरराष्ट्रीय कीमत 2.5 से 3 लाख रुपये प्रति किलो तक जाती है। ऐसे में सुरक्षा भी उसी स्तर की है:
- बगीचे के चारों ओर करंट प्रवाहित कटीले तार
- सुरक्षा प्रहरी और सीसीटीवी कैमरे
- प्रशिक्षित कुत्तों द्वारा निगरानी
ललित कुमार कहते हैं,
“इतनी कीमत और लोकप्रियता को देखते हुए सुरक्षा जरूरी है। अब यह आम सिर्फ फल नहीं, एक विरासत बन चुका है।”
“एग ऑफ द सन” बना अब बिहार की शान
इस आम को जापान के मियाजाकी शहर से नाम मिला है और इसे “एग ऑफ द सन” यानी “सूरज का अंडा” कहा जाता है। इसकी खेती गर्म मौसम में, सूर्य की रोशनी के बीच होती है। रंग और स्वाद में यह आम कला और पोषण का अद्भुत संगम है।
मेहनत, तकनीक और दृष्टिकोण से मुमकिन है वैश्विक सफलता
कोरियावां के इस छोटे से बगीचे ने साबित कर दिया कि नई तकनीक, पौधों की विविधता और किसानों की लगन से ग्रामीण भारत भी वैश्विक कृषि बाजार में जगह बना सकता है। अब मसौढ़ी भी उस मानचित्र पर है जहां से दुनिया का सबसे महंगा आम फलता है।