
सासाराम, बिहार | 18 मई 2025 — बिहार के सासाराम जिले में शनिवार को स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर हालत ने एक बार फिर लोगों को झकझोर कर रख दिया। सदर अस्पताल की लापरवाही के कारण एक गर्भवती महिला को ई-रिक्शा में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा, लेकिन नवजात की मौत हो गई। इस हृदयविदारक घटना से पूरे इलाके में गुस्से और नाराज़गी का माहौल है।
बंद अल्ट्रासाउंड सेवा बनी नवजात की मौत की वजह
मृतक नवजात की मां आस्तोरण देवी, करगहर प्रखंड के कौवाखोच गांव की रहने वाली हैं। परिजनों ने बताया कि महिला को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर करगहर पीएचसी से सासाराम सदर अस्पताल रेफर किया गया था। लेकिन सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सेवा बंद होने के कारण उसे बाहर निजी जांच केंद्र भेजा गया।
“अगर अल्ट्रासाउंड की सुविधा अस्पताल में होती तो हम बाहर नहीं जाते, और शायद बच्चा आज जिंदा होता।” — ललिता देवी, प्रसूता की मामी
अस्पताल गेट बना प्रसव कक्ष, लेकिन बच न सका नवजात
जब महिला को अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर ले जाया जा रहा था, अचानक प्रसव पीड़ा तेज हो गई। परिजन ई-रिक्शा को लेकर वापस अस्पताल भागे लेकिन जब तक स्वास्थ्यकर्मी पहुंचे, प्रसव ई-रिक्शा में ही हो गया। दुर्भाग्यवश, नवजात की मौके पर ही मौत हो गई।
अस्पताल गेट पर प्रसव, वह भी बिना किसी चिकित्सकीय सहायता — यह न सिर्फ प्रशासनिक विफलता है, बल्कि मानवता पर भी एक गहरा सवाल है।
अस्पताल प्रबंधक ने मानी लापरवाही, सेवा ठप होने को बताया कारण
सदर अस्पताल प्रबंधक अजय कुमार गुप्ता ने भी लापरवाही को स्वीकारते हुए कहा,
“फिलहाल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की कोई व्यवस्था नहीं है। महिला को बाहर भेजा गया था, उसी दौरान प्रसव हो गया और दुर्भाग्यवश बच्चा नहीं बच पाया।”
इस बयान से यह स्पष्ट है कि अस्पताल प्रशासन न केवल संसाधनविहीन है, बल्कि संकट के समय तत्परता भी नदारद थी।
सवाल कई हैं, जवाब कोई नहीं
- क्यों नहीं है सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जैसी बुनियादी सुविधा?
- प्रसव के लिए आने वाले मरीजों को क्यों भेजा जाता है निजी केंद्रों में?
- कब तक बिहार की गरीब जनता ऐसी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तरसेगी?
सिस्टम की चूक ने छीन ली मासूम जान
सासाराम की यह घटना एक बार फिर बिहार के जनस्वास्थ्य ढांचे की गंभीर खामियों को उजागर करती है। अस्पताल की लापरवाही, बुनियादी संसाधनों की कमी और मरीजों के प्रति संवेदनशीलता की कमी — ये सब मिलकर एक नवजात की जान की कीमत बन गए।
अब देखना यह है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस घटना से सबक लेते हैं या इसे भी फाइलों में दफ्न कर दिया जाएगा।