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पटना | 19 मई 2025 — बिहार की सियासत में चुनावी तापमान जैसे-जैसे चढ़ रहा है, पोस्टर पॉलिटिक्स ने भी जोर पकड़ लिया है। इस बार सुर्खियों में हैं लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान, जिनके समर्थन में राजधानी पटना की सड़कों पर एक ऐसा पोस्टर लगाया गया है जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।


क्या है पोस्टर में खास?

“दंगा-फसाद ना बवाल चाहिए, बिहार का सीएम चिराग चाहिए” — इस दमदार स्लोगन के साथ चिराग की मुकुट पहने तस्वीर और कैप्शन “बिहार कर रहा है ताजपोशी का इंतजार” पोस्टर की राजनीतिक मंशा को बखूबी बयां करती है। पोस्टर पर शेखपुरा लोजपा (रा.) जिला अध्यक्ष इमाम गजाली की तस्वीर भी prominently है, जिसमें वे चिराग को राजतिलक करते नजर आ रहे हैं। उनके नाम के ऊपर लिखा है: “शेर का कलेजा लेकर ऊपर वाला भेजा।”


क्या चिराग होंगे सीएम फेस?

इस पोस्टर से लोजपा (रामविलास) की मंशा साफ हो रही है — पार्टी अब सिर्फ सहयोगी की भूमिका में नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री पद की सीधी दावेदार बनना चाहती है। हालांकि, नीतीश कुमार की अगुवाई वाला मौजूदा एनडीए गठबंधन स्पष्ट संकेत दे चुका है कि नीतीश ही चेहरा होंगे, ऐसे में यह पोस्टर गठबंधन के भीतर नई संभावनाओं और अंदरूनी समीकरणों को जन्म देता है।


चिराग की ताकत: लोकसभा चुनाव में 100% स्ट्राइक रेट

हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी ने 100% सफलता प्राप्त की। इस प्रदर्शन ने उन्हें न सिर्फ एनडीए के भीतर बल्कि पूरे बिहार में एक स्वतंत्र शक्ति केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है। अब विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी सम्मानजनक सीटों की मांग और मुख्यमंत्री पद के दावे को लेकर खुलकर मैदान में उतरती दिख रही है।


राजनीतिक विश्लेषण: संदेश सिर्फ पोस्टर तक सीमित नहीं

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ये पोस्टर सिर्फ प्रतीकात्मक बयान नहीं, बल्कि लोजपा (रा.) की रणनीतिक दावेदारी का हिस्सा हैं। पार्टी एक ओर जहां युवा नेतृत्व और रामविलास पासवान की विरासत को भुनाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर यह संकेत भी देना चाहती है कि बिहार अब एक नई राजनीतिक धारा और चेहरे की तलाश में है।


क्या कहता है जनमानस?

पटना के एक स्थानीय नागरिक कहते हैं:

“चिराग पासवान युवा हैं, और उनका लोकसभा प्रदर्शन शानदार रहा है। ये पोस्टर बताता है कि अब वो सिर्फ दिल्ली नहीं, पटना की कुर्सी भी चाहते हैं।”


पोस्टर से शुरू हुई लड़ाई, अब रणनीति में बदलेगी

यह पोस्टर सिर्फ दीवारों की सजावट नहीं, बल्कि बिहार की सियासत में भविष्य की संभावनाओं का संकेत है। अब देखना होगा कि एनडीए नेतृत्व इस संदेश को कैसे लेता है और आने वाले महीनों में लोजपा (रामविलास) की भूमिका ‘सहयोगी’ से आगे बढ़कर ‘नेतृत्वकर्ता’ की ओर बढ़ती है या नहीं।