खर्राटें बढ़ा सकते हैं जानलेवा बीमारियों का रिस्क, जानें Snoring की चपेट में कौन आता है जल्दी और क्या है बचाव के उपाय?

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खर्राटें की वजह से हर चौथा शख्स स्लीप एपनिया का शिकार हो सकता है। चलिए जानते हैं कौन लोग खर्राटों किस चपेट में सबसे ज़्यादा आते हैं और बचाव के लिए क्या करना चाहिए?

सोते समय खर्राटें आना समान्य है। लेकिन अगर आपको रोज़ाना खर्राटे आ रहे हैं और आपकी नाक तेजी से बज रही है तो अपनी सेहत को लेकर सावधान हो जाना चाहिए। ज़ोर-ज़ोर और लगातार खर्राटे आना हेल्दी न  होने का एक बहुत बड़ा संकेत है। खर्राटे लेने वाले लोगों की नींद भी पूरी नहीं होती है। खर्राटें की वजह से हर चौथा शख्स स्लीप एपनिया का शिकार हो सकता है। बता दें हमारे देश में 12 करोड़ से ज़्यादा लोग ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से जूझ रहे हैं। खर्राटों की वजह से हाइपरटेंशन-शुगर, हार्ट अटैक और  ब्रेन स्ट्रोक का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में अगर वक्त रहते इसका इलाज ना हो तो लाइफ थ्रेटनिंग डिजीज़ की वजह बन सकती है। चलिए जानते हैं खर्राटें से बचाव एक लिए क्या करें?

खर्राटों के साइड इफेक्ट

खर्राटों से बढ़ सकता है इन बीमारियों का रिस्क:

  • हाइपरटेंशन: जो लोग रात में अधिक देर तक खर्राटे लेते हैं उनमें हाइपरटेंशन यानी उच्‍च रक्‍तचाप की बीमारी होने का खतरा अधिक होता है। यह समस्‍या 83% पुरुषों और 71% महिलाओं में देखने को मिलती है जो काफी कॉमन है।
  • हार्ट अटैक: हल्के या कभी-कभार आने वाले खर्राटे आमतौर पर चिंता का कारण नहीं होते हैं। लेकिन लंबे समय तक खर्राटे लेने से स्ट्रोक और दिल का दौरा जैसी कुछ स्वास्थ्य स्थितियों का खतरा बढ़ सकता है।
    • ब्रेन स्ट्रोक:  नींद कम आने के साइड इफेक्ट पूरे शरीर पर पड़ते हैं। इसमें पहले आपका स्वास्थ्य खराब होता है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और हार्ट से जुड़ी बीमारी होने लगती हैं। यह दिक्कत बढ़ती रहती है और अंत में मरीज को ब्रेन स्ट्रोक आ जाता है।

    इन लोगों को खर्राटें आते हैं सबसे ज़्यादा:

    • ओवरवेट लोग: जिन लोगों का वजन ज़्यादा होता है उन लोगों को खर्राटों की समस्या ज़्यादा होती है।
    • टॉन्सिल से परेशान बच्चे: अगर आपका बच्चा टॉन्सिल से परेशान है तो उसे भी खर्राटें की समस्या हो सकती है।
    • साइनस के मरीज़: साइनस के मरीजों को भी खर्राटों की समस्या ज़्यादा होती है।

    खर्राटे कैसे करें कंट्रोल?

    • वजन घटाएं: अगर आपका वजन ज़्यादा है तो आप अपना वजन कम करें। वजन कम करने से यह परेशानी अपने आप कम हो जाती है।
    • वर्कआउट करें: वर्कऑउट करने से खर्राटों की समस्या कम होती है। मुंह और गले के व्यायाम, जिन्हें ऑरोफरीन्जियल मांसपेशी वर्कआउट के रूप में जाना जाता है, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में सुधार कर सकते हैं और खर्राटों को कम कर सकते हैं। ये व्यायाम जीभ की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं।
    • गर्दन की एक्सरसाइज़ करें: गर्दन, गले, जीभ या मुंह में मांसपेशियां रुकावट पैदा करती हैं और खर्राटों को बढ़ाती है ये वर्कआउट इन मांसपेशियों को टोन करता है और खर्राटों की समस्या को कम करता है।

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