नई दिल्ली | 9 मई 2025:‘रेलवे में नौकरी के बदले ज़मीन’ घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की आधिकारिक मंजूरी दे दी है।
राष्ट्रपति ने यह स्वीकृति दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 197(1) और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 218 के तहत दी है। यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई जांच के आधार पर लिया गया है, जिससे मामले की कानूनी प्रक्रिया को नया बल मिला है।
क्या है मामला?
यह मामला लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान कथित तौर पर रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले उम्मीदवारों से जमीन लिखवाने से जुड़ा है। ईडी का आरोप है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धनशोधन (money laundering) हुआ, जिसके तार यादव परिवार के कई सदस्यों से जुड़ते हैं।
तेजस्वी, राबड़ी, मीसा पहले ही आरोपी
प्रवर्तन निदेशालय ने अगस्त 2024 में इस मामले में लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, सांसद मीसा भारती, और अन्य पर PMMLA (धनशोधन निवारण अधिनियम) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था।
अब राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद, लालू प्रसाद यादव के खिलाफ भी अभियोजन की कार्रवाई औपचारिक रूप से शुरू हो सकेगी।
कानूनी प्रक्रिया में बड़ा मोड़
कानूनी जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति की स्वीकृति से ईडी को कोर्ट में मुकदमा आगे बढ़ाने की वैधानिक अनुमति मिल गई है। यह फैसला न सिर्फ लालू प्रसाद के लिए राजनीतिक और कानूनी मोर्चे पर चुनौतीपूर्ण है, बल्कि राजद के भीतर और बिहार की राजनीति में भी इसकी गूंज सुनाई दे सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं जल्द
इस मामले में राजनीतिक हलकों से तीखी प्रतिक्रियाएं आने की संभावना है। राजद की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि वे इस मामले को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ के रूप में देख सकते हैं।