LIVE EXIT POLL
🗳️ Axis My India: NDA 121–141 सीटें | महागठबंधन 98–118 सीटें | अन्य 4–8 सीटें
📊 Today’s Chanakya: NDA 130–150 सीटें | महागठबंधन 80–100 सीटें | अन्य 5–10 सीटें
🗳️ India TV–CNX: NDA 118–138 सीटें | महागठबंधन 95–115 सीटें | अन्य 3–6 सीटें
📈 ABP–C Voter: NDA 127 सीटें | महागठबंधन 105 सीटें | अन्य 11 सीटें
🗳️ Times Now–ETG: NDA 120–140 सीटें | महागठबंधन 90–110 सीटें | अन्य 5–8 सीटें
📊 TV9 Bharatvarsh–Polstrat: NDA 125–145 सीटें | महागठबंधन 85–105 सीटें | अन्य 4–6 सीटें
WhatsApp
Home Local YouTube Instagram

नीतीश कुमार बनना इतना आसान नहीं है. उसके लिए पूरी जिंदगी खपानी होती है. राजनीति में ओल्ड इज गोल्ड चलता है. आज नीतीश की बराबरी में बिहार का कोई नेता नहीं है, इसकी वजह है कि उन्होंने बिहार की राजनीति को जिया है और अब उसका मजा ले रहे हैं।

यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ही कर सकते हैं. उनकी सफल राजनीतिक जीवन का राज यही है. भाजपा और राजद वाले नीतीश कुमार से यह सब सीख नहीं सकते, क्योंकि वे दोनों बिहार की राजनीति के धुरी हैं पर धुरी को नचाने वाले नीतीश कुमार हैं. वे इन दोनों में से एक को बाजू में रखते हैं तो दूसरे के साथ इफ्तारी करते हैं. बाजू वाले का स्थान बदल जाता है और नीतीश कुमार यही अदल बदल का खेल खेलते हुए भाजपा और राजद को नाच नचाते रहते हैं. अब तो उनकी भूमिका और बड़ी हो गई है. भाजपा को दिल्ली में भी उनकी जरूरत है तो पटना में वे पहले से अपरिहार्य बने हुए हैं. यही कारण है कि वे भाजपा के मंत्रियों को भाव नहीं दे रहे हैं, क्योंकि दिल्ली से उन्हें खुद ही भाव मिल रहा है तो अब भाव खाना तो लाजिमी है न. तभी तो सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर डिमांड की जा रही है. सरकारी बैठकों में जेडीयू के सांसद तो मौजूद रहते हैं पर भाजपा के मंत्री तक उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं. राजद की बारी तंज कसने की है और जब राजद के साथ ऐसा होता है तो यही मौका भाजपा के पास होता है।

इधर-उधर नहीं जाएंगे… भाजपा आलाकमान को रख रहे भरोसे में

हालांकि, राजनीतिक तौर पर भाजपा और जेडीयू के बीच ऐसी किसी मुद्दे पर खींचतान देखने को नहीं मिल रही है पर भाजपा के मंत्रियों और यहां तक कि डिप्टी सीएम की उपेक्षा से भी कई सवाल उठ रहे हैं. सवाल तो यह भी उठ रहे हैं कि जब कोई खींचतान नहीं है तो क्या भाजपा से मन उबने लगा है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का. हालांकि इस बीच में जब भी दिल्ली से कोई बड़ा नेता पटना से बिहार के किसी जिले का दौरा करता है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी रटी रटाई बात दोहराते दिखते हैं कि अब इधर-उधर कहीं नहीं जाना है. राजद के साथ जाकर गलती कर दी है. राजद ने तो एक वीडियो जारी करके यह भी साबित करने की कोशिश की है कि नीतीश कुमार जब महागठबंधन के साथ थे, तब वे यही बात भाजपा के बारे में बोलते थे।

राज्यपाल के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं

विधानसभा चुनाव में अभी 1 साल का समय है और भाजपा के मंत्रियों से इस तरह का दुराव कई सवाल खड़े करने लगे हैं. यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार की राजनीति में या फिर एनडीए सरकार सब कुछ ठीक चल रहा है या नहीं. इसकी कुछ बानगी है, जिसके बारे में आपको बताते हैं. 19 सितंबर को कचरा प्रबंधन को लेकर बापू सभागार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम का शुभारंभ राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर ने किया. इस मौके पर भाजपा की ओर से विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के अलावा नगर विकास मंत्री नितिन नवीन और पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद रविशंकर प्रसाद मौजूद थे पर जेडीयू का कोई भी नेता यहां नजर नहीं आया. राज्यपाल के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी होना चाहिए था पर वे गैरहाजिर रहे।

बिहटा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को लेकर क्रेडिट वार

एक और कार्यक्रम के बारे में जान लीजिए. यह कार्यक्रम बिहटा एयरपोर्ट को लेकर हुआ था, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही नजर आए. इस एयरपोर्ट को बनाने के लिए मोदी सरकार ने मंजूरी दी थी और बिहार भाजपा के अलावा जेडीयू इसका क्रेडिट लेते नजर आए. एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मौका का दौरा कर बिहटा एयरपोर्ट का क्रेडिट लेते दिखत तो दूसरी तरफ सम्राट चौधरी की ओर से एक प्रेस रिलीज जारी कर इसको भुनाने की कोशिश होती देखी गई. 19 सितंबर को एक और वाकया हुआ. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास के संकल्प कक्ष में बिहार में बनने वाले 4 एक्सप्रेसवे की समीक्षा के लिए हाईलेवल बैठक बुलाई थी. इसमें मुख्यमंत्री को एक्सप्रेसवे के बारे में प्र​गति रिपोर्ट पेश की जानी थी. खास बात यह रही कि विभाग के मंत्री डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा बैठक में नहीं थे. बताया जाता है कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया था।

कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में डिप्टी सीएम नहीं

21 सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कानून व्यवस्था को लेकर एक बड़ी बैठक बुलाई. नवादा कांड के बाद इस बैठक से राज्य भर में एक बड़ा संदेश देना था पर गौर करने वाली बात देखिए कि इसमें डीजीपी, एडीजी और मुख्य सचिव तो थे पर भाजपा कोटे से दोनों डिप्टी सीएम मौजूद नहीं रहे. आम तौर पर कानून व्यवस्था से जुड़ी बैठकों में डिप्टी सीएम की प्रतीकात्मक मौजूदगी भी जरूरी प्रतीत होती है पर ऐसा नहीं हुआ. इसी दिन पर्यटन विभाग का एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री ने इस विभाग की योजनाओं की समीक्षा की पर इस बैठक में भी विभाग के मंत्री नीतीश मिश्रा मौजूद नहीं रहे।

जहानाबाद में मुख्यमंत्री के साथ एक भी डिप्टी सीएम नहीं

एक दिन पहले 23 सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहानाबाद के दौरे पर थे. वहां उन्होंने कई योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया. इस कार्यक्रम में भी भाजपा के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के अलावा संबंधित विभाग के मंत्रियों की गैर मौजूदगी कई सवाल खड़े कर रही है. इस दिन डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा लखीसराय में किसी कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे. इन सब घटनाओं से लग रहा है कि क्या नीतीश कुमार का मन भाजपा से उब गया है या वे भाजपा को उसकी औकात दिखा रहे हैं. मोदी सरकार जब पूर्ण बहुमत में थी, तब वह सहयोगी दलों को औकात दिखाती थी पर अब समय नीतीश कुमार है, जिसका वे भरपूर फायदा उठा रहे हैं।

WhatsApp Channel VOB का चैनल JOIN करें