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मुजफ्फरपुर, 27 मई 2025 – बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आया है। सकरा प्रखंड के महमदपुर दामोदरपुर पंचायत के मुखिया गिरीश कुमार पर करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा है। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने इस मामले में जिलाधिकारी (DM) को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं।

आय से अधिक संपत्ति का मामला

आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, गिरीश कुमार ने वर्ष 2022 से 2025 के बीच लगभग 45 लाख रुपये के कई निवेश किए हैं। इसके अतिरिक्त, उनकी पत्नी और पिता ने भी 60 लाख रुपये से अधिक की संपत्तियां खरीदी हैं। इन सभी लेनदेन में बड़े पैमाने पर नकद भुगतान शामिल थे, जो सीधे तौर पर आयकर कानूनों का उल्लंघन करते हैं।

स्टांप शुल्क चोरी और सरकार को नुकसान

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि वर्ष 2024-25 में कई संपत्तियां सरकारी दर से काफी कम मूल्य पर खरीदी गईं, जिससे राज्य सरकार को स्टांप शुल्क में भारी नुकसान हुआ है। आयकर विभाग ने इस पूरे प्रकरण को “गंभीर वित्तीय अनियमितता और कर चोरी” करार दिया है और उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश की है।

चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उप विकास आयुक्त श्रेष्ठ अनुपम ने एक चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में शामिल हैं:

  • राष्ट्रीय स्व-नियोजन कार्यक्रम के निदेशक
  • जिला पंचायती राज पदाधिकारी
  • जिला भविष्य निधि पदाधिकारी
  • राज्यकर विभाग के अपर आयुक्त

कमेटी को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वह आयकर विभाग की रिपोर्ट के आधार पर बिंदुवार जांच करे और जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपे।

जांच के मुख्य बिंदु

  • नकद लेनदेन की वैधता
  • अस्पष्ट निवेश स्रोत
  • स्टांप शुल्क चोरी
  • संपत्ति मूल्यांकन में अनियमितता

कानूनी कार्रवाई की संभावना

आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त ने रिपोर्ट में कहा है कि मुखिया और उनके परिवार द्वारा अर्जित की गई संपत्ति उनकी घोषित आय से काफी अधिक है, और इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, विभाग पहले ही परिवार पर जुर्माना लगा चुका है। अब जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर और सख्त कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

जनता की निगाहें जांच पर टिकीं

स्थानीय निवासियों और पंचायत के लोगों में इस प्रकरण को लेकर गहरी दिलचस्पी है। यह मामला पंचायती राज व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। आम जनता की मांग है कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए ताकि ग्राम स्तर पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सके।