अररिया/किशनगंज, 1 जून 2025 :नेपाल में हो रही भारी बारिश का असर अब बिहार के सीमावर्ती इलाकों में दिखने लगा है। अररिया जिले के कुर्साकांटा प्रखंड और किशनगंज के दिघलबैंक क्षेत्र से होकर बहने वाली नदियों—बकरा, भलुआ, परमान, लोहन्द्रा, बरजान, कनकई और बूढ़ी कनकई—के जलस्तर में शनिवार दोपहर के बाद अचानक तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है।
चचरी पुल बहे, आवाजाही बाधित
कुर्साकांटा क्षेत्र में बकरा नदी पर बने पड़रिया और तीरा घाट के पास चचरी पुल तेज बहाव में बह गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है। ग्रामीणों को अब नाव के सहारे ही आर-पार करना पड़ रहा है या फिर 20-25 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर गांवों तक पहुंचना पड़ रहा है। इससे तीरा, खारदह, सतबेढ़, बरदाहा जैसे गांव सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
खतरे की स्थिति नहीं, लेकिन प्रशासन सतर्क
कुर्साकांटा के अंचलाधिकारी आलोक कुमार ने बताया कि नेपाल में लगातार हो रही वर्षा के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ा है, लेकिन फिलहाल बाढ़ जैसी कोई गंभीर स्थिति नहीं है। प्रशासनिक स्तर पर स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
नेपाल के कोसी प्रदेश में सड़क संपर्क टूटा
जोगबनी के सूत्रों के अनुसार, नेपाल के कोसी प्रदेश में अविरल वर्षा से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। लेउती नदी में आई बाढ़ के चलते कोशी राजमार्ग का एक हिस्सा कटकर बह गया है। नेपाल के धनकुटा जिला पुलिस कार्यालय ने इसकी पुष्टि की है।
दिघलबैंक में फसलों को भारी नुकसान
किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड में भी कनकई और बूढ़ी कनकई नदियों के जलस्तर में शुक्रवार रात से ही तेजी से वृद्धि देखी गई है। नतीजतन तटवर्ती गांवों में मक्का की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। ग्रामीणों द्वारा खेतों में तोड़कर जमा की गई फसल या तो जलमग्न हो गई है या बह गई है। इसके अलावा, इन नदियों पर बने कई स्थानीय चचरी पुल भी तेज बहाव में ध्वस्त हो चुके हैं।
प्रशासन की चुनौती: मानसून से पहले ही जल संकट
मानसून की आधिकारिक शुरुआत से पहले ही इस तरह की स्थिति से संकेत मिलते हैं कि इस वर्ष सीमावर्ती बिहार में जलप्रभावित आपदा से निपटने के लिए प्रशासन को पहले से ही कड़ी रणनीति अपनानी होगी।