पटना, 9 मई 2025:
बिहार के राजस्व विभाग में एक बार फिर लापरवाही का मामला सामने आया है। नालंदा जिले की एक महिला अंचल अधिकारी पर बिना उचित जांच के दाखिल-खारिज मामले को मंजूरी देने के आरोप सिद्ध होने के बाद विभाग ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है।
एकंगरसराय अंचल की तत्कालीन प्रभारी अंचल अधिकारी कुमारी नेहा को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने दोषी पाए जाने पर एक वेतन वृद्धि पर रोक का दंड दिया है। यह दंड संचयी प्रभाव के बिना लगाया गया है, यानी इसका भविष्य की पेंशन या पदोन्नति पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह प्रशासनिक चेतावनी जरूर है।
क्या है मामला?
8 अगस्त 2024 को नालंदा के जिलाधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रपत्र–क के तहत जांच कर एक विस्तृत रिपोर्ट राजस्व विभाग को भेजी थी। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि कुमारी नेहा ने:
- बिना स्थलीय जांच किए दाखिल-खारिज वाद को स्वीकृति दी।
- राजस्व कर्मचारी के गलत प्रतिवेदन पर भरोसा किया।
- पारिवारिक सूची के आधार पर हिस्सेदारों को बिना नोटिस दिए दाखिल-खारिज की अनुशंसा की।
यह प्रक्रिया न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि इससे संबंधित पक्षकारों को कानूनी नुकसान भी हो सकता था।
स्पष्टीकरण खारिज, कार्रवाई तय
विभाग द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण में कुमारी नेहा संतोषजनक जवाब नहीं दे सकीं। उनके जवाब को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अस्वीकार कर दिया और उन्हें दोषी मानते हुए दंडित किया गया।
वर्तमान में कुमारी नेहा सिवान जिले के लकड़ी नबीबगंज अंचल में पदस्थापित हैं।
निष्कर्ष: प्रशासनिक सख्ती का संकेत
यह कार्रवाई न सिर्फ एक व्यक्तिगत मामले तक सीमित है, बल्कि यह पूरे प्रशासनिक तंत्र के लिए एक चेतावनी है कि राजस्व संबंधी मामलों में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विभाग की यह सख्ती पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।