
04 जुलाई, 2025, पटना:जिस बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को कभी उपेक्षित, जर्जर और सीमित संसाधनों वाला माना जाता था, अब वही राज्य आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आए बदलावों का असर अब ज़मीनी स्तर पर दिखने लगा है। बिहार अब खुद के साथ-साथ झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों को भी विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए तैयार हो रहा है।
मेडिकल कॉलेजों का तेज़ी से हुआ विस्तार
2005 तक राज्य में केवल 6 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे। आज की तारीख में यह संख्या 11 हो चुकी है और 4 अन्य कॉलेजों का निर्माण कार्य जारी है। सरकार ने हर जिले में कम-से-कम एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना का लक्ष्य तय किया है। फिलहाल 9 नए जिलों में कॉलेज खोलने की योजना पर काम हो रहा है।
सुपर-स्पेशियलिटी अस्पतालों का निर्माण
बिहार सरकार पुराने अस्पतालों को अत्याधुनिक सुपर-स्पेशियलिटी सुविधाओं से लैस कर रही है। प्रमुख अस्पतालों की प्रस्तावित बेड क्षमता इस प्रकार है:
अस्पताल / कॉलेज | प्रस्तावित बेड क्षमता |
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पटना मेडिकल कॉलेज (PMCH) | 5462 बेड (एशिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल) |
नालंदा मेडिकल कॉलेज, पटना | 2500 बेड |
दरभंगा मेडिकल कॉलेज | 2500 बेड |
श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज, मुजफ्फरपुर | 2500 बेड |
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, भागलपुर | 2500 बेड |
अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज, गया | 2500 बेड |
स्वास्थ्यकर्मियों की रिकॉर्ड बहाली
राज्य सरकार ने प्राथमिक से लेकर उच्चस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था को मज़बूती देने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की बड़ी संख्या में नियुक्ति की है:
- वर्ष 2025 में 1431 डॉक्टरों की बहाली
- 31 मई को 228 चिकित्सकों की नियुक्ति
- 10 जून को 694 पीजी डिग्रीधारी वरिष्ठ चिकित्सक नियुक्त
- अब तक 7468 नर्सों की नियुक्ति
- 4200 पदों पर बहाली की प्रक्रिया जारी
- 1800 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया पाइपलाइन में
बिहार में दो एम्स
पटना एम्स अब पूरी तरह से कार्यरत है। इसके अलावा दरभंगा में दूसरे एम्स का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है। इसके लिए 150 एकड़ भूमि निर्धारित की गई है। निर्माण पूर्ण होने पर बिहार देश का दूसरा राज्य बन जाएगा जहां दो एम्स होंगे।
स्वास्थ्य सेवा निर्यातक की दिशा में कदम
पटना मेडिकल कॉलेज के पुनर्निर्माण के बाद यह अस्पताल वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से युक्त होगा, जिससे बिहार के अलावा पड़ोसी राज्यों के मरीजों को भी लाभ मिलेगा। 2005 के बाद से जिस ठोस नींव पर स्वास्थ्य ढांचा खड़ा किया गया, वह अब एक मजबूत इमारत बन चुकी है।
अब बिहार न केवल अपने नागरिकों की सेहत सुधार रहा है, बल्कि दूसरे राज्यों के लोगों को भी जीवनरक्षक सुविधाएं उपलब्ध कराने की ओर अग्रसर है।