
पटना, 21 जुलाई 2025:बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र की कार्यवाही स्थगित होने के बाद सोमवार को सेंट्रल हॉल में आयोजित एनडीए विधायक दल की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। बैठक में डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी के बीच तीखी बहस हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में विजय सिन्हा ने अशोक चौधरी को कड़े शब्दों में फटकार लगाई।
विधायकों की उपेक्षा पर नाराज हुए विजय सिन्हा
दरअसल, ग्रामीण कार्य विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों में स्थानीय भाजपा विधायकों को आमंत्रित नहीं किए जाने को लेकर विजय सिन्हा ने कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा:
“गठबंधन धर्म निभाने की जिम्मेदारी सिर्फ भाजपा की नहीं है, सभी घटक दलों को इसका पालन करना चाहिए।”
प्रहलाद यादव का मुद्दा भी उठा
विजय सिन्हा ने इस बैठक में सूर्यगढ़ से भाजपा विधायक प्रहलाद यादव का मुद्दा भी उठाया, जिन्होंने आरजेडी छोड़कर विश्वास मत के दौरान नीतीश कुमार की सरकार का समर्थन किया था। विजय सिन्हा ने कहा कि:
“प्रहलाद यादव ने सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, यह बात एनडीए के शीर्ष नेताओं को पहले से पता थी, फिर भी उन्हें टिकट से वंचित करने की बात कही जा रही है।”
गौरतलब है कि हाल ही में जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने बयान दिया था कि “लखीसराय का आतंक सूर्यगढ़ का उम्मीदवार नहीं बनेगा”, जिसे राजनीतिक हलकों में प्रहलाद यादव पर परोक्ष हमला माना गया।
ग्लोबल टेंडरिंग को लेकर भी भाजपा विधायकों में नाराजगी
विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा ग्लोबल टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू करने पर भी भाजपा के कई विधायकों ने आपत्ति जताई। विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू समेत अन्य भाजपा विधायकों ने कहा कि:
“पहले स्थानीय लोगों को टेंडर मिलते थे, अब बाहर की कंपनियां काम ले जा रही हैं। इससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी है और आगामी चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।”
इन दो बिंदुओं पर केंद्रित रहा विवाद:
- ग्लोबल टेंडरिंग का विरोध – स्थानीय ठेकेदारों और कार्यकर्ताओं को वंचित करने का आरोप, जिससे एनडीए के ज़मीनी कार्यकर्ता नाराज।
- प्रहलाद यादव को टिकट न देने का विरोध – जिनके समर्थन से सरकार बनी, उन्हें ही अगली बार बाहर करने की चर्चा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी इस पूरे विवाद के दौरान शांत बने रहे और किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया। लेकिन बैठक के भीतर उभरा यह विवाद अब एनडीए के भीतर समन्वय और विश्वास के संकट की ओर इशारा कर रहा है।