बिहार में टाउनशिप बसाने के नाम पर खेल चल रहा है. रेरा से निबंधन लिए बिना ही टाउनशिप बसाने का गोरखधंधा जारी है. हद तो तब हो गई जब टाउनशिप बसाने वाली कंपनी बिना निबंधन के ही प्रोजेक्ट का प्रचार-प्रसार कर रही है. रेरा बिहार को ठेंगा दिखाते हुए ”वैदिक विलेज’‘ सोसायटी में प्लॉट की खरीद के लिए पूरे पन्ने का विज्ञापन जारी किया गया है. वैदिक विलेज को DIARCH ग्रुप द्वारा लॉन्च की गई है. बता दें, पहले अर्च ग्रुप की तरफ से इस प्रोजेक्ट में प्लॉट की बुकिंग को लेकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा था, अब DIARCH के द्वारा. किसी प्रोजेक्ट का प्रचार-प्रसार करना गलत नहीं, लेकिन इसके लिए RERA निबंधन होना जरूरी है. विज्ञापन में ही रेरा निबंधन संख्या दर्ज करने का प्रावधान है.
बिना निबंधन वाला प्रोजेक्ट है VAIDIC VILLAGE
पटना और आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर फर्जी टाउनशिप बसाये जा रहे हैं. फर्जी का मतलब बिना रेरा निबंधन वाला टाउनशिप. रेरा से निबंधन नहीं लेने वाले प्रोजेक्ट को नियमसंगत नहीं माना जाता. ऐसे प्रोजेक्ट्स(सोसायटी) में ग्राहकों का पैसा डूबने की पूरी गुंजाइश होती है. आज बुधवार को पटना के अखबार में एक टाउनशिप VAIDIC VILLAGE का पूरे पन्ने का विज्ञापन जारी किया गया है. VAIDIC VILLAGE ( वैदिक विलेज) नाम का प्रोजेक्ट पटना से तीस किमी दूर नौबतपुर में है. विज्ञापन में दावा किया गया है कि यह सोसायटी विश्व स्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित है. प्लॉट की बुकिंग को लेकर ग्राहकों को तरह-तरह के प्रलोभन भी दिए गए हैं. विज्ञापन में लगभग 2500 रू प्रति स्कॉयर फीट का दर बताया गया है. इसके साथ ही सारी सुविधाओं का बखान किया गया है.
कंपनी ने विज्ञापन में रेरा निबंधन नहीं बताया, मतलब साफ है—गैर निबंधित प्रोजेक्ट है
अखबार में लाखों रू का विज्ञापन देकर कंपनी DIARCH ग्रुप ने सारी बातों का जिक्र किया है. निःशुल्क प्लॉट विजिट करने की बात कही गई है. यानि आप अगर इच्छुक हैं तो फ्री में आपको साइट दिखाया जा सकता है. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर का नाम और तस्वीर भी छपी है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण जानकारी, जिसे बताना डेवलपर्स को जरूरी होता है, वो छुपा ली गई है. प्रोजेक्ट के निबंधन संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. मतलब साफ है कंपनी ने बिना रेरा निबंधन लिए ही ऑथरिटी को ठेंगा दिखाते हुए अपने प्रोजेक्ट वैदिक विलेज में बुकिंग को लेकपर प्रचार-प्रसार कर रही है. यानि पूरी दाल ही काली है. ग्राहकों को ऐसे प्रोजेक्ट्स से दूर रहना चाहिए, वरना पैसा डूबने की पूरी गुंजाइश है.