पटना, 1 जून 2025:राज्य में संभावित बाढ़ के खतरों को देखते हुए जल संसाधन विभाग पूरी तरह से सतर्क है और तटबंधों की मजबूती के लिए जियो-ट्यूब तकनीक का उपयोग करते हुए स्टड निर्माण कार्य को गति दी जा रही है। यह तकनीक न केवल तटबंधों को स्थायित्व प्रदान करती है, बल्कि बाढ़ के समय होने वाले कटाव और दबाव को झेलने में भी प्रभावी सिद्ध हो रही है।
क्या है जियो-ट्यूब तकनीक?
जियो-ट्यूब एक विशेष प्रकार की भू-प्रौद्योगिकीय सामग्री (जियो टेक्सटाइल) से बनी होती है, जिसमें नदी तल से निकाली गई सिल्ट भरी जाती है।
- इसके लिए कीचड़ पंप (मड पंप) का उपयोग किया जाता है, जो नदी की तलहटी से सामग्री काटकर ट्यूब में भरता है।
- यह प्रक्रिया तटबंध निर्माण के साथ-साथ गाद निकासी (ड्रेन्जिंग) का कार्य भी करती है।
तकनीक की विशेषताएं:
- एकीकृत संरचना: पूरी लंबाई में जुड़ी जियो-ट्यूब एक ठोस दीवार की तरह कार्य करती है।
- स्थायित्व: भारी रिवर बेड सामग्री के कारण ट्यूब बहने या खिसकने की संभावना बेहद कम होती है।
- स्थापना में सरलता: इसकी समतल सतह बाढ़ के दौरान स्थिरता बनाए रखती है।
- पारंपरिक विधियों से बेहतर: यह तकनीक पारंपरिक पत्थर या ईंट-सीमेंट आधारित निर्माण की तुलना में अधिक टिकाऊ और प्रभावकारी मानी जा रही है।
तटबंधों की दीर्घकालिक सुरक्षा
जल संसाधन विभाग के अनुसार, यह प्रयास न केवल बाढ़ नियंत्रण बल्कि नदी तट क्षेत्रों की संरचनात्मक स्थिरता के लिए भी अहम है। विभाग का लक्ष्य है कि बाढ़ पूर्व तैयारी को समय रहते पूरा कर लिया जाए, जिससे मानसून के दौरान किसी प्रकार की आपदा से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।