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विश्व बैंक की मदद से ‘बिहार जल सुरक्षा एवं सिंचाई आधुनिकीकरण परियोजना’ (BWISMP) का होगा क्रियान्वयन

पटना: बिहार में बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं से निपटने और सिंचाई व्यवस्था को आधुनिक और कुशल बनाने के लिए राज्य सरकार ने 4415 करोड़ रुपये की ‘बिहार जल सुरक्षा एवं सिंचाई आधुनिकीकरण परियोजना’ (BWISMP) को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना विश्व बैंक के सहयोग से चलाई जाएगी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी।

परियोजना के तहत राज्य की सिंचाई प्रणालियों का उन्नयन, बाढ़ जोखिम प्रबंधन, और जल शासन व्यवस्था को सुदृढ़ करने की योजना है। यह एक वृहद एवं समन्वित प्रयास है, जिसका क्रियान्वयन जल संसाधन विभाग के साथ-साथ कृषि और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किया जाएगा।

प्रभावी सिंचाई और बाढ़ प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम

परियोजना का उद्देश्य न केवल सिंचाई के आधुनिक और टिकाऊ तरीकों को लागू करना है, बल्कि बाढ़ जैसी आपात परिस्थितियों से निपटने की तैयारी को भी बेहतर बनाना है। इसके तहत मुख्य नदियों के अतिरिक्त जल प्रवाह को नियंत्रित करने, तटबंधों के पुनर्स्थापन एवं सुदृढ़ीकरण, और सूखाग्रस्त जिलों में सिंचाई स्रोतों के पुनर्निर्माण की योजना है।

वित्तीय संरचना और चार प्रमुख अवयव

  • कुल लागत: 4415.00 करोड़ रुपये
  • बिहार सरकार की हिस्सेदारी: 1324.50 करोड़ (30%)
  • विश्व बैंक से ऋण: 3090.50 करोड़ (70%)

परियोजना के चार प्रमुख अवयवों में वित्तीय आवंटन इस प्रकार है:

  1. जलवायु अनुकूल सिंचाई – ₹2487 करोड़
  2. बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण – ₹1525 करोड़
  3. जल शासन – ₹243 करोड़
  4. परियोजना प्रबंधन – ₹160 करोड़

प्रमुख सिंचाई योजनाओं का होगा आधुनिकीकरण

परियोजना के अंतर्गत जिन प्रमुख सिंचाई योजनाओं का पुनर्स्थापन और आधुनिकीकरण प्रस्तावित है, उनमें सोन, गंडक और कोसी बैराज, सोन पश्चिमी मुख्य नहर, पश्चिमी कोसी सिंचाई योजना, झंझारपुर शाखा नहर, और सारण मुख्य नहर (17 से 35 किमी तक) शामिल हैं।

बाढ़ से राहत: तटबंध और स्परों का पुनर्स्थापन

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तटबंधों के ऊंचीकरण, पक्कीकरण और स्परों के जीर्णोद्धार का भी कार्य किया जाएगा। इसके अंतर्गत बागमती तटबंध, कटिहार के कुर्सेला ब्लॉक में कटाव रोधी कार्य, सिकरहट्टा-मंझारी बांध का सुदृढ़ीकरण और पूर्वी कोसी तटबंध के 25 स्परों का जीर्णोद्धार शामिल है।

2025-26 से अगले 7 वर्षों में होगा क्रियान्वयन

इस परियोजना की शुरुआत वित्तीय वर्ष 2025-26 से होगी और इसे अगले सात वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।