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अमेरिका ने खुद को सीधे ईरान-इजराइल युद्ध में झोंका

वॉशिंगटन/तेहरान/यरुशलम, 21 जून 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार देर रात यह पुष्टि की कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों – फोर्दो, नतांज़ और इस्फ़हान – पर हवाई हमले किए हैं। ट्रंप ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर साझा करते हुए कहा कि “सभी हमले सफल रहे हैं और अमेरिकी विमान ईरान के वायु क्षेत्र से सुरक्षित बाहर आ चुके हैं।”

ट्रंप ने अपने बयान में लिखा, “हमारे महान अमेरिकी योद्धाओं को बधाई। दुनिया में कोई और सेना यह नहीं कर सकती थी। अब शांति का समय है।” उन्होंने संकेत दिया कि इस अभियान के संबंध में वे राष्ट्र को संबोधित भी करेंगे।

ट्रंप ने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि फोर्दो परमाणु केंद्र पर “सभी बम” गिराए गए हैं। हालांकि, इस बात की स्वतंत्र पुष्टि अभी तक किसी तटस्थ अंतरराष्ट्रीय एजेंसी या ईरान सरकार की ओर से नहीं की गई है।

ईरान-इजराइल संघर्ष में अमेरिका की सीधी भागीदारी

यह पहला मौका है जब अमेरिका ने इजराइल-ईरान संघर्ष में सीधे सैन्य हस्तक्षेप किया है। इसे इजराइल की उस मांग का समर्थन माना जा रहा है जिसमें वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के लिए अमेरिका से खुलकर मदद की अपेक्षा कर रहा था।

विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में यह वादा किया था कि वह अमेरिका को फिर से मिडिल ईस्ट की जंग में नहीं झोंकेंगे।

दो दिन पहले कहा था – “बातचीत की संभावना पर विचार करूंगा”

हमले से महज 48 घंटे पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका दो हफ्तों तक इंतजार करेगा ताकि देखा जा सके कि क्या ईरान और इजराइल के बीच कोई राजनयिक समाधान निकल सकता है। उन्होंने कहा था, “अगर बातचीत की संभावना होगी तो मैं दो हफ्तों में फैसला करूंगा कि आगे क्या करना है।” लेकिन शुक्रवार को उन्होंने सीधे सैन्य कार्रवाई का रास्ता अपना लिया।

पिछले कुछ महीनों से अमेरिका और ईरान के बीच गुप्त कूटनीतिक प्रयास भी चल रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप ने इजराइल से यह भी कहा था कि वह ईरान पर हमला कुछ समय के लिए टाल दे, ताकि शांति प्रयासों को मौका दिया जा सके। लेकिन अब ऐसा लगता है कि कूटनीति का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है।

अब तक संघर्ष में जान-माल की क्षति

इजराइल-ईरान संघर्ष का आज दसवां दिन है। अमेरिका स्थित ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स न्यूज एजेंसी के अनुसार, ईरान में अब तक 657 लोगों की मौत हुई है और 2,000 से अधिक घायल हुए हैं। जबकि ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 430 नागरिकों के मारे जाने और 3,500 से अधिक के घायल होने की पुष्टि की है।

उधर इजराइल में अब तक 24 लोगों की मौत और 900 से अधिक के घायल होने की सूचना है। इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) ने दावा किया है कि उसने पिछले 48 घंटों में ईरानी सेना के तीन वरिष्ठ कमांडरों और चार जवानों को मार गिराया है। साथ ही अब तक 10 ईरानी न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स की हत्या करने का भी दावा किया गया है।

आगे क्या?

राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा घोषित इस सैन्य कार्रवाई से मिडिल ईस्ट में तनाव नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। दुनिया की नजरें अब ईरान की संभावित प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। क्या यह युद्ध व्यापक रूप लेगा या अमेरिका का यह हस्तक्षेप ईरान को पीछे हटने पर मजबूर करेगा—यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।