नई दिल्ली/श्रीनगर | 21 जून 2025: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा झंडी दिखाकर रवाना की गई वंदे भारत एक्सप्रेस अब कश्मीर की वादियों में भी दौड़ने लगी है — एक ऐसा सपना जो दशकों से अधूरा था, अब मूर्त रूप में सबके सामने है। श्री माता वैष्णो देवी कटरा से श्रीनगर तक चलने वाली यह हाई-स्पीड ट्रेन केवल एक यातायात सेवा नहीं, बल्कि राष्ट्र के एकीकरण की चलती-फिरती मिसाल बन गई है।
रेल कनेक्टिविटी: एक सपना, एक संकल्प
कश्मीर को शेष भारत से रेल मार्ग से जोड़ने का विचार नया नहीं था, लेकिन इसे साकार करने की राह बेहद कठिन थी। 1994 में स्वीकृत उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना ने भूगोल, तकनीक और सुरक्षा की असंख्य चुनौतियों को पार करते हुए आज एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है।
इस मार्ग में शामिल है:
- चिनाब ब्रिज – दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल (359 मीटर ऊंचा)
- अंजीखाड ब्रिज – भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज
- टी-80 सुरंग – 11 किलोमीटर लंबी, जो पीर पंजाल रेंज को भेदती है
- कुल 40 सुरंगें और 900 से अधिक पुल
इंजीनियरिंग से आत्मनिर्भरता की ओर
भारतीय रेल और उसकी टीमों ने चरम जलवायु, दुर्गम पहाड़ियों और अस्थिर परिस्थितियों में काम करते हुए इस सपने को साकार किया है। ड्रोन से सर्वेक्षण, सैटेलाइट इमेजिंग और ज़मीन पर श्रमिकों की तपस्या — सब मिलकर इस परियोजना की आधारशिला बने।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के शब्दों में, “यह सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की मिसाल है।”
वंदे भारत: दूरी नहीं, दिल जोड़ती है
नई वंदे भारत एक्सप्रेस ने श्रीनगर से कटरा की दूरी को मात्र तीन घंटे में पूरा कर, पर्यटन और स्थानीय व्यापार को नई रफ्तार दी है। जहां पहले खतरनाक सड़कें और बर्फीले रास्ते थे, वहीं अब सुरंगों और पुलों से एक सुगम, सुलभ मार्ग बन चुका है।
कश्मीरी युवाओं के लिए यह ट्रेन शिक्षा और रोज़गार के नए अवसर खोल रही है। स्थानीय व्यापारी अब देश भर में अपने उत्पाद जल्द पहुंचा पा रहे हैं।
नया रास्ता, नई उम्मीदें
यह ज़रूरी है मानना कि रेललाइन कश्मीर के सभी सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों का हल नहीं है, लेकिन यह एक ऐसी बुनियादी शुरुआत है जो विकास, एकीकरण और आशा की दिशा में निर्णायक कदम है।
जहां पहले अलगाव था, वहां अब प्रगति की रेलगाड़ी है — जो देश को न केवल भौगोलिक रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी जोड़ रही है।