
📍 स्थान: गया, बिहार | 🗓️ तिथि: 21 जून 2025
समाचार विवरण:
जिस उम्र में बच्चे किताबों और खेलों की दुनिया में खोए रहते हैं, उस उम्र में अखिलेश सिंह भोक्ता ने बंदूक थाम ली थी। महज 14 साल की उम्र में वह नक्सली संगठन से जुड़ गया था और 10 वर्षों तक जंगल, बारूद और खून उसकी दुनिया बन गई।
अब जब वह 24 वर्ष का हुआ, तो उसने हिंसा और आतंक का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। गुरुवार को गया के एसएसपी आनंद कुमार के समक्ष उसने आत्मसमर्पण किया। साथ में एक सेमी-ऑटोमैटिक राइफल भी जिला पुलिस को सौंपी।
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60 जिंदा IED की सूचना दी
एसएसपी आनंद कुमार ने बताया कि सरेंडर के तुरंत बाद अखिलेश ने पुलिस को 60 जिंदा IED की जानकारी दी। ये सभी जंगलों और पहाड़ों के रास्तों में प्लांट किए गए थे। CRPF, SSB और BSAP के संयुक्त अभियान में सभी विस्फोटकों को मौके पर ही नष्ट कर दिया गया।
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पहली हत्या 2017 में, आखिरी 2025 में अपने गांव में
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, अखिलेश ने पहली नक्सली वारदात 2017 में अंजाम दी थी। तब से लेकर अब तक वह कई हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा। 2025 में अपने गांव कचनार (छकरबंधा) में एक युवक की हत्या उसकी आखिरी नक्सली वारदात थी।
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17 से अधिक नक्सली मामलों में था वांछित
अखिलेश गया, औरंगाबाद और मदनपुर के इलाकों में नक्सली संगठन के लिए ऑपरेशन चलाता था। वह हत्या, IED विस्फोट और पुलिस हमलों में शामिल रहा। पुलिस के अनुसार, उस पर 17 से अधिक नक्सली मामलों में मुकदमे दर्ज हैं।
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मगध जोन का सब-जोनल कमांडर और 3 लाख का इनामी
एसएसपी के अनुसार, अखिलेश नक्सली संगठन के मगध जोन का सब-जोनल कमांडर था। बिहार सरकार ने उसकी गिरफ्तारी पर ₹3 लाख का इनाम घोषित कर रखा था।
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अब मुख्यधारा में लौटने का संकल्प
सरेंडर के साथ ही अखिलेश ने हिंसा छोड़कर एक सामान्य जीवन जीने की इच्छा जताई है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि पुनर्वास नीति के तहत उसे सरकार की ओर से आवश्यक सहायता दी जाएगी।
📌 मुख्य बिंदु:
- अखिलेश सिंह भोक्ता ने 14 की उम्र में नक्सल संगठन जॉइन किया
- 10 साल तक नक्सल गतिविधियों में रहा शामिल
- 24 वर्ष की उम्र में सरेंडर कर पुलिस को दी 60 IED की जानकारी
- मगध जोन का सब-जोनल कमांडर था, ₹3 लाख का इनामी
- 17 से ज्यादा मामलों में था वांछित