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पटना: बिहार की राजनीति एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में है — और इस बार वजह हैं तेज प्रताप यादव। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप की निजी जिंदगी और उससे जुड़ी हालिया घटनाओं ने सियासी हलकों से लेकर सोशल मीडिया तक बहस छेड़ दी है। तीन कथित शादियों, वायरल तस्वीरों और लीक चैट्स के इस पूरे मामले ने न केवल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बल्कि पूरे यादव परिवार की साख को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।

विवाह से विवाद तक: तेज प्रताप और उनकी कथित पत्नियाँ

2018 में तेज प्रताप यादव की शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पोती और चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से हुई थी। यह शादी दो सशक्त राजनीतिक परिवारों के बीच संबंध मजबूत करने के इरादे से देखी गई थी। हालांकि, यह रिश्ता जल्द ही टूटने की कगार पर पहुँच गया। ऐश्वर्या राय ने तेज प्रताप पर घरेलू हिंसा और असामान्य व्यवहार के आरोप लगाए, जिसके बाद उन्होंने तलाक की अर्जी दाखिल की।

वहीं, हाल ही में तेज प्रताप यादव की एक फेसबुक पोस्ट ने हंगामा मचा दिया, जिसमें उन्होंने खुद को अनुष्का यादव के साथ 12 वर्षों के रिश्ते में बताया। पोस्ट के वायरल होने के बाद सफाई दी गई कि अकाउंट हैक हो गया था। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने पूरे मामले को और उलझा दिया।

तीसरी महिला की एंट्री और ‘बेबी प्लानिंग’ का दावा

सूत्रों से प्राप्त चैट्स के मुताबिक, तेज प्रताप यादव का एक और महिला — निशु सिन्हा — से संबंध होने का दावा किया गया है। ये भी कहा जा रहा है कि दोनों हाल ही में मालदीव की यात्रा पर गए थे। वायरल चैट्स में अनुष्का यादव दावा करती हैं कि यह यात्रा “बेबी प्लानिंग” के लिए की गई थी, और खुद तेजस्वी यादव ने इसमें भूमिका निभाई।

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Nishu Sinha Tejashwi Yadav

इन चैट्स के अनुसार, तेज प्रताप पहले ऐश्वर्या राय, फिर अनुष्का यादव और अब निशु सिन्हा से कथित रूप से विवाह कर चुके हैं। हम इन दावों की पुष्टि नहीं करते, लेकिन इन चर्चाओं ने लालू परिवार को एक बार फिर विवादों में घसीट लिया है।

राजद में अंदरूनी उथल-पुथल और निष्कासन

तेज प्रताप यादव को राजद से निष्कासित किए जाने की खबर सामने आई है, हालांकि इस कार्रवाई को तब अंजाम दिया गया जब तस्वीरें और चैट्स पहले ही सार्वजनिक हो चुकी थीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी पहले से सबकुछ जानती थी, लेकिन सार्वजनिक दबाव के बाद ही कदम उठाया गया।

पार्टी के अंदर संजय यादव की भूमिका, जगदानंद सिंह की निष्क्रियता और आकाश यादव की महत्वाकांक्षा ने भी इस पूरे विवाद को और गहराया है। तेज प्रताप यादव के समर्थक इसे एक साजिश बताते हैं, वहीं विरोधियों के अनुसार यह “निजी ज़िम्मेदारी की विफलता” है।

राजनीतिक असर और चुनावी रणनीति

बिहार में इस साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में तेज प्रताप यादव से जुड़ी खबरों का राजनीतिक असर भी साफ दिखाई देने लगा है। भाजपा और एनडीए के घटक दल इस मुद्दे को उठाकर लालू परिवार को घेरने की तैयारी में हैं। दूसरी ओर, RJD इस विवाद से हुए नुकसान की भरपाई करने की कोशिश में जुटी है।

निजी जिंदगी बनाम सार्वजनिक छवि

राजनीति में निजी जिंदगी कभी पूरी तरह निजी नहीं रह जाती। तेज प्रताप यादव का विवाद इसका ताजा उदाहरण है। एक ओर जहां यह मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजी संबंधों से जुड़ा है, वहीं दूसरी ओर इससे पार्टी और परिवार की साख भी प्रभावित हो रही है।

अब देखना यह है कि लालू परिवार इस सियासी तूफान से कैसे उबरता है, और आगामी चुनाव में जनता का रुख किस ओर जाता है।