
पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव द्वारा अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर किए जाने के फैसले ने बिहार की सियासत में नया तूफान ला दिया है। जहां राजद इसे नैतिक और संगठनात्मक निर्णय बता रही है, वहीं विपक्षी दल इसे “राजनीतिक ड्रामा” करार दे रहे हैं।
जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने इस पूरे घटनाक्रम पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सवाल किया कि तेज प्रताप को बाहर निकालने के पीछे कौन-सी रणनीतिक चाल छिपी है और क्या यह सब एक सुनियोजित स्क्रिप्ट का हिस्सा है?
“बेटियों का सम्मान या राजनीतिक मजबूरी?” – जदयू का तंज
नीरज कुमार ने लालू परिवार पर सवाल उठाते हुए कहा, “आज जब तेज प्रताप की निजी जिंदगी सुर्खियों में है, तब लालू यादव नैतिकता की दुहाई दे रहे हैं। लेकिन जब ऐश्वर्या राय के साथ दुर्व्यवहार हुआ था, तब उनके ‘संस्कार’ कहां थे? क्या यही बेटियों के प्रति सम्मान है?”
उनका इशारा तेज प्रताप की पहली पत्नी ऐश्वर्या राय द्वारा लगाए गए घरेलू हिंसा और मानसिक उत्पीड़न के आरोपों की ओर था, जो लंबे समय से कानूनी प्रक्रिया में हैं।
“बिना तलाक दूसरी शादी कैसे वैध?”
तेज प्रताप यादव की दूसरी कथित शादी को लेकर भी जदयू ने कड़ा सवाल खड़ा किया है। नीरज कुमार ने कहा, “जब पहली पत्नी से तलाक ही नहीं हुआ, तो फिर दूसरी शादी कानूनन कैसे मान्य हो सकती है? क्या यह सब मुआवजे और वैवाहिक अधिकारों से बचने की साजिश है?”
“तेज प्रताप को निकाला, फिर भाई कैसे?”
जदयू प्रवक्ता ने राजद में पारिवारिक द्वंद्व पर भी तंज कसते हुए कहा, “एक तरफ तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर बताया जा रहा है, दूसरी तरफ तेजस्वी यादव उन्हें ‘भाई’ कहकर भावनात्मक अपील कर रहे हैं। यह दोहरा मापदंड नहीं तो और क्या है?”
“36 करोड़ के मुआवजे से बचने का नाटक” – राजीव रंजन प्रसाद
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने इस मुद्दे को और अधिक राजनीतिक रंग देते हुए दावा किया कि तेज प्रताप को निष्कासित करने के पीछे असली वजह उनकी पूर्व पत्नी ऐश्वर्या राय द्वारा दायर तलाक केस में मांगा गया 36 करोड़ रुपये का मुआवजा है।
उन्होंने कहा, “यह पूरी कार्रवाई जनता की आंखों में धूल झोंकने की एक सोची-समझी रणनीति है। राजद परिवार अपनी कानूनी और सामाजिक जवाबदेही से बचने के लिए नाटक कर रहा है।”
सियासी रणनीति या नैतिक कदम?
राजद की ओर से तेज प्रताप यादव पर फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, सिवाय इसके कि यह निर्णय पार्टी की छवि बनाए रखने के लिए लिया गया। लेकिन विपक्ष इसे पारिवारिक संकट से अधिक एक राजनीतिक स्टंट मान रहा है।
बिहार की राजनीति में इस घटनाक्रम ने नए समीकरण बना दिए हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनावों में इसका असर किस रूप में सामने आता है।