
वर्ष 2027 तक ‘हर कोना–पटना’ को जोड़ने का लक्ष्य
पटना, 20 जून 2025:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले दो दशकों में बिहार ने बुनियादी ढांचे, खासकर सड़क निर्माण के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति की है। वर्ष 2005 तक जहां राज्य में मात्र 14,468 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ था, वहीं वर्ष 2025 तक यह आंकड़ा 26,000 किलोमीटर से अधिक हो चुका है। यानी सड़क निर्माण की गति लगभग दोगुनी हो गई है।
राज्य और राष्ट्रीय उच्च पथों में बड़ी वृद्धि
पथ निर्माण विभाग के आंकड़ों के अनुसार:
- राष्ट्रीय उच्च पथों की लंबाई 2005 में 3,629 किमी थी, जो अब बढ़कर 6,147 किमी हो गई है।
- राज्य उच्च पथ 2,382 किमी से बढ़कर 3,638 किमी हो गए हैं।
- वृहद जिला पथों की लंबाई 8,457 किमी से बढ़कर 16,296 किमी तक पहुंच चुकी है।
चौड़ी और आधुनिक सड़कों का नया युग
साल 2005 तक जहां ज्यादातर सड़कें सिंगल लेन या इंटरमीडिएट लेन थीं, आज दो, चार और छह लेन सड़कों का जाल बिछ चुका है:
- राष्ट्रीय उच्च पथों में सिंगल लेन की लंबाई 764 किमी से घटकर 186 किमी रह गई।
- दो लेन सड़कों की लंबाई 1,208 किमी से बढ़कर 3,278 किमी तक पहुंच गई।
- चार और छह लेन सड़कों की कुल लंबाई अब 1,704 किमी हो चुकी है।
राज्य उच्च पथों में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है:
- पहले मात्र 52 किमी दो लेन सड़कें थीं, जो अब बढ़कर 2,786 किमी हो चुकी हैं।
- वहीं, सिंगल और इंटरमीडिएट लेन की लंबाई घटकर क्रमशः 286 किमी और 292 किमी रह गई है।
पहले एक्सप्रेसवे नहीं था, अब पाँच बड़े प्रोजेक्ट
वर्ष 2005 तक बिहार में एक भी एक्सप्रेसवे नहीं था। लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से पाँच प्रमुख एक्सप्रेसवे परियोजनाएं प्रक्रियाधीन हैं:
- रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे – 408 किमी
- गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे – 417 किमी
- पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे – 250 किमी
- बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे – 300 किमी
- वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे (बिहार खंड) – 161 किमी
‘हर कोना–पटना’ 3.5 घंटे में योजना
राज्य सरकार ने अब 2027 तक बिहार के किसी भी कोने से अधिकतम साढ़े तीन घंटे में पटना पहुंचने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। इससे पहले ‘पांच घंटे में राजधानी पहुंचने’ की व्यवस्था पहले ही सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है।
नीतीश सरकार की यह उपलब्धि केवल निर्माण की मात्रा नहीं, बल्कि विकास की दिशा, नीति निर्माण की स्पष्टता और लोगों को जोड़ने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है। सड़क निर्माण में आई यह तेजी बिहार की आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक गति को और बल प्रदान कर रही है।