
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सोमवार को स्पष्ट किया कि अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं लगाएगी, बल्कि वह केवल शोरूम स्थापित करने की योजना बना रही है। यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और आयात को लेकर नई नीति की घोषणा की गई है।
नई ईवी नीति के दिशा-निर्देश जारी
कुमारस्वामी ने भारत में ईवी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए नई नीति के दिशा-निर्देश पेश किए। उन्होंने कहा, “देश में कई विदेशी वाहन निर्माता कंपनियां भारत में ईवी निर्माण में रुचि दिखा रही हैं, लेकिन टेस्ला सिर्फ शो-रूम खोलना चाहती है, न कि वाहन बनाना।”
टेस्ला पर अमेरिकी दबाव?
गौरतलब है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में कहा था कि “यदि टेस्ला भारत में केवल स्थानीय शुल्क से बचने के लिए फैक्ट्री लगाएगी, तो यह अनुचित होगा।” इस बयान के बाद टेस्ला की भारत में योजनाओं पर सवाल उठने लगे थे, जिन पर अब मंत्री ने स्थिति स्पष्ट की है।
नई नीति के प्रमुख बिंदु:
- कंपनियों को 3 साल के भीतर 4,150 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा
- न्यूनतम 50% वाहन निर्माण भारत में अनिवार्य
- 35,000 डॉलर तक की कारों के आयात को मंजूरी
- 15% आयात शुल्क पर पांच साल तक सीमित संख्या में वाहन आयात की अनुमति
मेक इन इंडिया को बढ़ावा
नई नीति का उद्देश्य ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती देना है। इसके तहत भारत में निर्माण करने वाली कंपनियों को प्राथमिकता मिलेगी, जिससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आयात पर निर्भरता घटेगी।
टेस्ला का भारत में केवल शोरूम खोलने का फैसला देश के लिए मिली-जुली प्रतिक्रिया का कारण बन सकता है। एक ओर जहां विदेशी निवेश की उम्मीद थी, वहीं स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग की बजाय सिर्फ बिक्री पर फोकस से ‘मेक इन इंडिया’ नीति को झटका लग सकता है।