
भागलपुर (बिहार), सुलतानगंज से रिपोर्ट:सुलतानगंज के खानपान में एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिल रहा है। अब यहां की गलियों में चाट-पकौड़ी या समोसे की जगह ‘रोल’ की खुशबू फैल रही है। युवाओं की बदलती पसंद और व्यस्त जीवनशैली ने स्ट्रीट फूड में एक नया कल्चर पैदा कर दिया है — ‘रोल कल्चर’।
पुराने सविता टॉकीज और मौजूदा पैरामाउंट स्कूल के पास खुला ‘Roll Club’, सुलतानगंज का पहला ऐसा फास्ट फूड आउटलेट है जो दिल्ली-कोलकाता जैसे शहरों की स्ट्रीट फूड वाइब को इस कस्बे में ला रहा है। यहाँ के रोल्स का स्वाद न केवल अनोखा है, बल्कि इसकी तैयारी भी खास है — पतली मैदे की रोटी की जगह लच्छेदार आटे के पराठे का इस्तेमाल किया जाता है।
नई पीढ़ी की नई पसंद: रोल में स्वाद, सुविधा और स्टाइल
स्थानीय स्कूल टीचर नीलम कुमारी कहती हैं –
“काम से लौटने के बाद जब जल्दी और स्वादिष्ट कुछ चाहिए होता है, तो Roll Club एक अच्छा ऑप्शन है।”
कॉलेज छात्र अंकित राज का मानना है –
“अब हमें अच्छा फास्ट फूड खाने भागलपुर नहीं जाना पड़ता। सुलतानगंज भी बदल रहा है।”
स्थानीय स्वाद के साथ फ्यूज़न टच
‘Roll Club’ के संचालक संजय कुमार झा बताते हैं कि उनका उद्देश्य मेट्रो सिटी की नकल नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों की आदतों और स्वाद के साथ तालमेल बिठाना है। यहाँ के मेन्यू में वेज और नॉन-वेज दोनों तरह के फ्लेवर शामिल हैं, जो हर वर्ग के ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं।
फास्ट फूड से बढ़ रहा है सामाजिक बदलाव
‘Roll Club’ अब सिर्फ खाने की जगह नहीं, बल्कि युवाओं के लिए एक नया मिलन स्थल बनता जा रहा है। यह बदलाव दर्शाता है कि सुलतानगंज जैसे छोटे कस्बों में भी खानपान और लाइफस्टाइल को लेकर जागरूकता बढ़ रही है।
यह सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की शुरुआत है — जहां भोजन अब सिर्फ ज़रूरत नहीं, बल्कि अनुभव बनता जा रहा है।