
भाजपा जिला अध्यक्ष, पार्षद ट्विंकल, संघर्ष समिति और अधिकारियों के साथ हुई बैठक
भागलपुर। शहर के रेलवे जमीन पर वर्षों से बसे झुग्गी-झोपड़ी वासियों के पुनर्वास को लेकर प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है। इस सिलसिले में मंगलवार को वार्ड संख्या 36 की निगम पार्षद ट्विंकल कुमारी, भाजपा जिला अध्यक्ष संतोष शाह, कुंदन जी, झुग्गी-झोपड़ी संघर्ष समिति के संयोजक और झुग्गीवासियों के प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी और अपर समाहर्ता से मुलाकात की।
जल्द होगी सर्वे और सूची तैयार
बैठक के दौरान प्रशासन ने आश्वासन दिया कि रेलवे की जमीन पर रह रहे सभी लोगों की पूरी जांच कराई जाएगी। इसके लिए अंचलाधिकारी को आदेश जारी कर दिया गया है। सर्वे के तहत देखा जाएगा कि
- रेलवे की जमीन पर कितने लोग बसे हुए हैं।
- वे कितने वर्षों से वहां रह रहे हैं।
- उनका पेशा क्या है।
- कोई अवैध या आपराधिक गतिविधि में तो शामिल नहीं।
- कोई बाहरी व्यक्ति, बांग्लादेशी या संदिग्ध तो नहीं।
इस पूरी जांच प्रक्रिया के बाद पात्र लोगों की सूची तैयार की जाएगी।
पुनर्वास के लिए तलाशा जा रहा जमीन का विकल्प
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि शहर के नजदीक पुनर्वास के लिए उपयुक्त जमीन तलाशी जा रही है। राज्य सरकार से इसकी स्वीकृति मिलते ही पात्र झुग्गीवासियों को टोकन और सूची के माध्यम से जमीन का आवंटन किया जाएगा। इस प्रक्रिया में सभी भूमिहीन, झुग्गी-झोपड़ी वासियों को राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा।
सभी प्रतिनिधियों ने रखा अपना पक्ष
बैठक में मौजूद भाजपा नेता कुंदन जी, जीवन पासवान, कार्तिक जी सहित अन्य प्रतिनिधियों ने भी झुग्गीवासियों के पुनर्वास को लेकर प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखी। सभी ने एकमत से आग्रह किया कि झुग्गीवासियों को बेघर न किया जाए, बल्कि उन्हें सम्मानजनक तरीके से बसाया जाए।
संघर्ष समिति की भूमिका सराहनीय
झुग्गी-झोपड़ी संघर्ष समिति के संयोजक ने कहा कि वे वर्षों से झुग्गीवासियों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं और जब तक सभी भूमिहीनों को बसाया नहीं जाता, आंदोलन जारी रहेगा।
प्रशासन का भरोसा
जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होगी। पात्र लोगों को सरकार की योजना का लाभ दिलाया जाएगा और जरूरत पड़ने पर सूची में वंचितों का नाम भी जोड़ा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भागलपुर में रेलवे जमीन पर सैकड़ों परिवार वर्षों से झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। इनके पुनर्वास की मांग लंबे समय से हो रही थी। अब प्रशासन की सक्रियता से इन परिवारों को राहत मिलने की उम्मीद जगी है।