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सीतामढ़ी: जिस पहचान को कभी समाज की नजरों से छुपाकर रखा गया था, आज वही पहचान सम्मान और गर्व का प्रतीक बन गई है। सीतामढ़ी की रहने वाली ट्रांसजेंडर परी पूजा ने बिहार पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल कर मिसाल कायम की है। समाज में बदलाव की बयार लाने वाली पूजा अब खाकी वर्दी पहन देश की सेवा करने को तैयार है।

संघर्ष से भरी कहानी, लेकिन मिला परिवार का साथ
थर्ड जेंडर होने के बावजूद पूजा को कभी अपने परिवार से अलग समझा नहीं गया। उनके पिता रामनाथ भगत एक किसान हैं और सीमित संसाधनों में भी अपनी बेटी को हमेशा आगे बढ़ने का हौसला देते रहे। पूजा ने बताया, “मैं अपने भाइयों की तरह पली-बढ़ी हूं। परिवार ने कभी भेदभाव नहीं किया।”

पढ़ाई के साथ नौकरी, फिर परीक्षा की तैयारी
गरीब परिवार से आने वाली पूजा ने आत्मनिर्भरता का रास्ता खुद चुना। पहचान छुपाकर उन्होंने सीतामढ़ी के एक मॉल में तीन वर्षों तक काम किया। सुबह 10 से रात 8 बजे तक ड्यूटी करने के बाद वह रात 12 बजे तक पुलिस भर्ती परीक्षा की तैयारी करती थीं। पूजा वर्तमान में गोयनका कॉलेज, सीतामढ़ी से स्नातक कर रही हैं।

आरक्षण बना सहारा, शिक्षक और सीएम को जताया आभार
पूजा ने अपनी सफलता का श्रेय ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पटना के रहमान सर को दिया और साथ ही बिहार सरकार की उस नीति को भी सराहा जिसमें थर्ड जेंडर वर्ग के लिए पुलिस भर्ती में 1% आरक्षण दिया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी धन्यवाद कहा।

समाज में बदलती सोच, प्रेरणा बनी पूजा
पूजा कहती हैं कि उन्हें कभी गांव वालों ने तिरस्कार की नजर से नहीं देखा। समाज की सोच में बदलाव का यही उदाहरण है कि आज एक ट्रांसजेंडर बेटी की सफलता पर पूरा गांव गर्व कर रहा है।

“अगर मेरी तरह कोई और भी खाकी पहनता है, तो ये समाज के लिए एक मजबूत और सकारात्मक संदेश होगा।” – परी पूजा