
राजगीर, नालंदा – 22 मई 2025: ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री एवं नीति विशेषज्ञ प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय समुदाय—जिसमें कार्यवाहक कुलपति प्रो. अभय के. सिंह, संकाय सदस्य और शोधार्थी शामिल थे—ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
नालंदा विश्वविद्यालय, जो प्राचीन नालंदा महाविहार की वैश्विक बौद्धिक परंपरा को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में पुनर्जीवित करने का प्रयास है, अब प्रो. चतुर्वेदी के नेतृत्व में एक नई दिशा की ओर अग्रसर होगा।
अपने स्वागत भाषण में प्रो. चतुर्वेदी ने विश्वविद्यालय के ध्येय वाक्य “अनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः” का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भावना वैश्विक दृष्टिकोण और समावेशी ज्ञान परंपरा की नींव है। उन्होंने नालंदा की विचारशील, समन्वयकारी और बौद्धिक संस्कृति को भारतीय और वैश्विक बौद्धिक संवाद का केंद्र बताया।
प्रोफेसर चतुर्वेदी का परिचय: वर्तमान में नई दिल्ली स्थित अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (RIS) थिंक-टैंक के महानिदेशक रहे प्रो. चतुर्वेदी, विकास अर्थशास्त्र, दक्षिण-दक्षिण सहयोग, और नीति निर्माण के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए जाने जाते हैं। वे भारतीय रिज़र्व बैंक के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक हैं, 22 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं और NeST व FIDC जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों के संस्थापक हैं।
उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय की हालिया उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान ने एक उभरते हुए वैश्विक शैक्षणिक केंद्र के रूप में अपनी साख स्थापित की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया यात्रा का भी उल्लेख किया, जिसे उन्होंने विश्वविद्यालय की भावी दिशा के लिए प्रेरणादायक बताया।
प्रो. चतुर्वेदी ने कहा, “शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति में मेरी गहरी आस्था है। मेरा प्रयास होगा कि नालंदा विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा को समकालीन वैश्विक चुनौतियों के संदर्भ में सार्थक बनाए और छात्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करे।”
अपने दायित्व को “सम्मान और सौभाग्य” बताते हुए उन्होंने नालंदा को वैश्विक बौद्धिक विमर्श का एक प्रमुख केंद्र बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।