
पूर्णिया, 16 जुलाई 2025।‘जन सुराज’ अभियान के अंतर्गत बिहार में बदलाव की यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने आज पूर्णिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने वोटर लिस्ट पुनर्निरीक्षण अभियान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, किशनगंज मेडिकल कॉलेज में कथित अनियमितताएं और महाराष्ट्र में भाषा विवाद जैसे संवेदनशील विषयों पर गंभीर सवाल उठाए और सरकार व विपक्ष दोनों को आड़े हाथों लिया।
वोटर लिस्ट पर प्रशांत किशोर का चुनाव आयोग से सवाल
प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची पुनर्निरीक्षण कार्यक्रम को राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया। उन्होंने कहा:
“अगर 2024 का लोकसभा चुनाव इसी वोटर लिस्ट से हुआ और प्रधानमंत्री बने, तो अब उसी लिस्ट से विधानसभा चुनाव कराने में दिक्कत क्या है? क्या चुनाव आयोग यह स्वीकार करेगा कि उस चुनाव में फर्जी वोटिंग हुई?”
उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी प्रक्रिया भाजपा की रणनीति के तहत चलाई जा रही है ताकि समाज के पिछड़े तबके और गरीब वर्ग के नाम सूची से हटाए जा सकें।
प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनाव आयोग नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं रखता और यदि किसी मतदाता का नाम गलत तरीके से हटाया गया है तो जन सुराज आंदोलन उसकी पूरी लड़ाई लड़ेगा।
दिलीप जायसवाल और मेडिकल कॉलेज घोटाले पर नए आरोप
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर ने एक बार फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को घेरते हुए चार गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने कहा कि किशनगंज स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मामले में अब तक भाजपा या दिलीप जायसवाल की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
प्रशांत किशोर के अनुसार:
- कॉलेज में 50 से अधिक नेताओं और अफसरों के परिजनों को मैनेजमेंट कोटे से मेडिकल में नामांकन दिलाया गया।
- आयुष्मान भारत योजना के तहत कॉलेज को मिली धनराशि में करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई।
- इसमें राजद के नेताओं के परिवारजनों के नाम भी शामिल हैं।
- इन आरोपों का विस्तृत खुलासा आगे होने वाली प्रेस वार्ताओं में किया जाएगा।
उन्होंने यह भी चुनौती दी कि यदि उनके आरोप झूठे हैं तो दिलीप जायसवाल उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं करते?
महाराष्ट्र भाषा विवाद पर ‘ठाकरे बंधुओं’ को घेरा
एक सवाल के जवाब में महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी विवाद पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि यह विवाद मुंबई नगर निगम चुनाव को ध्यान में रखकर जानबूझकर भड़काया गया है।
“ये दोनों भाई (ठाकरे बंधु) लंपन एलिमेंट्स हैं, लेकिन इनसे बड़ी जिम्मेदारी भाजपा और कांग्रेस की बनती है, जो इनसे मिलकर सरकार चला रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि मराठी अस्मिता का यह विवाद एक राजनीतिक हथकंडा है जिसका उद्देश्य सिर्फ स्थानीय चुनावों में प्रभाव जमाना है।
जन सुराज का व्यापक समर्थन और खुला आमंत्रण
इस अवसर पर जन सुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने भी पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में बदलाव की इच्छा रखने वाले हर नागरिक का जन सुराज परिवार में स्वागत है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन न किसी जाति का है, न किसी दल का — यह बिहार के भविष्य का सवाल है।
संपर्क के लिए जन सुराज की टीम ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची, शिक्षा और प्रशासन से जुड़े किसी भी अन्याय की स्थिति में जनता संगठन से सीधे संपर्क कर सकती है।