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नालंदा (बिहार)।बिहार के नालंदा जिले में शनिवार को उस समय राजनीतिक पारा चढ़ गया, जब जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा में जाने से प्रशासन ने रोक दिया। इस घटना के बाद प्रशासन और पीके के बीच तीखी बहस हुई, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

एसडीएम से हुई गर्मागर्म बहस

प्रशांत किशोर अपने ‘बिहार बदलाव हस्ताक्षर अभियान’ के तहत नालंदा पहुंचे थे और ग्रामीणों से मुलाकात कर रहे थे। जब उनका काफिला कल्याण बिगहा की ओर बढ़ा, तो एसडीएम काजले वैभव नितिन ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इस पर पीके ने कहा,
“लिखकर दो कि किस कानून में लिखा है कि किसी मुख्यमंत्री के गांव में नहीं जा सकते! नहीं दोगे तो नौकरी चली जाएगी।”
वहीं, एसडीएम का जवाब था,
“आपको गांव में प्रवेश के लिए अनुमति लेनी चाहिए थी। बिना पूर्व अनुमति के किसी गांव में भीड़ इकट्ठा करना कानून व्यवस्था के लिए खतरा है।”

राजनीतिक विरोध पर सीधा हमला

बाद में बिहारशरीफ के श्रम कल्याण केंद्र मैदान में हुई जनसभा में प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि,
“नीतीश कुमार के गांव में भी घूसखोरी और योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि,
“कल्याण बिगहा में दो लाख रुपये की सहायता योजना और दलितों को जमीन जैसी सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिला।”

प्रशासनिक रोक को बताया डर

प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्हें बिना सुरक्षा के चलने के बावजूद गांव में घुसने नहीं दिया गया।
“क्या मैं आतंकवादी हूं?”, उन्होंने सवाल उठाया।
उन्होंने आगे कहा कि,
“बिहार का प्रशासन अब संविधान नहीं, नेताओं की सेवा कर रहा है।”

‘हर विधायक के गांव जाएंगे’

पीके ने घोषणा की कि जन सुराज के कार्यकर्ता अब बिहार के 243 विधायकों के गांवों में जाकर जनता से पूछेंगे कि उन्हें योजनाओं का लाभ मिला या नहीं। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन भ्रष्टाचार और राजनीतिक डर के खिलाफ जनजागरण का अभियान है।