पटना। बिहार एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, पटना के वाइस चांसलर डॉ. इंद्रजीत सिंह की नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस संबंध में राजेंद्र कुमार बघेरवाल नामक व्यक्ति ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि डॉ. सिंह ने अपनी नियुक्ति के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ छिपाई और नियमों का उल्लंघन किया।
ICAR में लंबित था अनुशासनिक मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार, डॉ. इंद्रजीत सिंह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में प्रिंसिपल साइंटिस्ट के पद पर कार्यरत थे और उनके खिलाफ 7 अगस्त 2003 से एक अनुशासनात्मक मामला लंबित है। यह मामला सेवा काल में की गई कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
बताया गया है कि इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कुछ समय के लिए कार्रवाई पर रोक लगाई थी, लेकिन वर्ष 2024 में कोर्ट ने ICAR को निर्देश दिया कि वह या तो डॉ. सिंह को सेवानिवृत्ति लाभ दे या फिर कारण बताओ नोटिस के आधार पर अनुशासनिक कार्रवाई शुरू करे। इसके बाद ICAR ने उनके खिलाफ कार्रवाई को आगे बढ़ाया, जो अब भी लंबित है।
जमानती वारंट और जानकारी छिपाने के आरोप
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि डॉ. सिंह के खिलाफ एक अन्य मामले में जमानती वारंट भी जारी हुआ था, जिसे बाद में निष्पादित किया गया। आरोप है कि 2024 में जब विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर पद के लिए आवेदन मांगे गए, तो डॉ. सिंह ने इन सभी जानकारियों को छिपाकर आवेदन किया और चयनित हो गए।
RTI से उठे सवाल, UGC नियमों के उल्लंघन का भी आरोप
याचिकाकर्ता ने सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय से नियुक्ति से जुड़े दस्तावेजों की मांग की थी, जिसके जवाब में कई अनियमितताएँ सामने आईं। याचिका में यह भी आरोप है कि डॉ. सिंह की नियुक्ति में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन किया गया है।
राज्यपाल को भी सौंपी गई रिपोर्ट
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रौशन कुमार ने बताया कि इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज और तथ्य राज्यपाल (जो राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं) को भी सौंपे गए हैं। उन्होंने कहा कि, “यह न केवल पारदर्शिता का उल्लंघन है, बल्कि उच्च शिक्षण संस्थानों की नियुक्ति प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।”
हाईकोर्ट में सुनवाई की उम्मीद, नियुक्ति रद्द हो सकती है
इस मामले की पटना हाईकोर्ट में शीघ्र सुनवाई की संभावना है। यदि आरोपों की पुष्टि होती है, तो डॉ. इंद्रजीत सिंह की वाइस चांसलर पद पर नियुक्ति रद्द की जा सकती है। यह मामला बिहार की उच्च शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक अहम मोड़ बन सकता है।