पटना: बिहार एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है, जहां हर पर्व और त्योहार पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। विशेष रूप से दुर्गा पूजा और उसके बाद आने वाला छठ महापर्व, यहां की आस्था, संस्कृति और परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
छठ पर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का अनुपम उदाहरण है, जो बिहार की धार्मिक, सामाजिक और पारंपरिक पहचान को गहराई से दर्शाता है।
पटना में 108 घाटों पर विशेष व्यवस्था
इस वर्ष छठ महापर्व को लेकर पटना जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। पटना सिटी से दीघा तक लगभग 25 किलोमीटर लंबाई में फैले 108 गंगा घाटों पर अर्घ्य अर्पण के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है।
छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं के लिए सभी घाटों पर निम्नलिखित सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं
- स्वच्छ शौचालय
- शुद्ध पेयजल
- चेंजिंग रूम
- घाटों पर पर्याप्त रेत (सैंड)
- वाहन पार्किंग की व्यवस्था
इसके साथ ही, घाटों की साफ-सफाई, रोशनी और सुरक्षा के लिए भी विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं।
गंगा के जलस्तर पर प्रशासन की नजर
गंगा नदी के जलस्तर में इस बार पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि देखी जा रही है।
1 से 7 अक्टूबर के बीच जलस्तर में लगभग 53 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
बुधवार सुबह
- दीघा घाट पर जलस्तर: 49.20 मीटर
- गांधी घाट पर जलस्तर: 48.08 मीटर रिकॉर्ड किया गया।
हालांकि पिछले 24 घंटों में जलस्तर में 6 सेंटीमीटर की गिरावट दर्ज की गई है।
प्रशासन ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए घाटों पर बैरिकेडिंग और सुरक्षा साइनेज लगाने का काम शुरू कर दिया है ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
श्रद्धा और भक्ति का महापर्व
छठ महापर्व बिहार की लोक संस्कृति का अभिन्न अंग है। इस पर्व में न केवल महिलाएं, बल्कि पुरुष भी निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं।
पटना नगर निगम, जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग मिलकर इस साल छठ पर्व को सुचारू और सुरक्षित बनाने के लिए पूरी तरह सक्रिय हैं।
