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बिहार में हुंकार भरने आ रहे ओवैसी, बोले- पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतेंगे, विधायक चुराने वालों को सबक सिखाएंगे

ByLuv Kush

मई 2, 2025
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पटना/हैदराबाद — बिहार विधानसभा चुनावों की राजनीतिक गहमागहमी अपने चरम पर है। सभी प्रमुख दलों ने मैदान में उतरने की तैयारियां तेज़ कर दी हैं। इसी कड़ी में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी अब बिहार की सियासत में एक बार फिर दखल देने को तैयार हैं। ओवैसी ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी इस बार न केवल चुनाव लड़ेगी, बल्कि पिछली बार से अधिक सीटों पर जीत दर्ज करेगी।

सीमांचल से शुरू होगा चुनावी बिगुल

असदुद्दीन ओवैसी 3 और 4 मई को बिहार के सीमांचल क्षेत्र में दो दिवसीय दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वह बहादुरगंज सहित कई जगहों पर जनसभाएं और रैलियां करेंगे। सीमांचल क्षेत्र AIMIM का पारंपरिक गढ़ माना जाता है, जहां मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में हैं।

ओवैसी ने अपने हैदराबाद कार्यालय से बयान जारी कर कहा:

“हम बिहार चुनाव मजबूती से लड़ेंगे। बहादुरगंज से हमने अपने प्रत्याशी का ऐलान भी कर दिया है। इस बार हमारी पार्टी से पिछली बार से ज्यादा विधायक बनेंगे।”

‘विधायक चुराने वालों को सबक सिखाएंगे’ — RJD पर सीधा हमला

अपने बयान में ओवैसी ने बिना नाम लिए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और इसके नेता तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा:

“हमारे विधायकों को जिन लोगों ने चुराया है, उन्हें सीमांचल की जनता इस बार जवाब देगी। बहादुरगंज की जनसभा में इसका असर साफ दिखाई देगा।”

गौरतलब है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM को 5 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, बाद में इनमें से 4 विधायक RJD में शामिल हो गए, जिससे ओवैसी काफी आक्रोशित हुए थे और उन्होंने इसे ‘लोकतंत्र की चोरी’ करार दिया था।

जातीय जनगणना पर भी बोले ओवैसी

राजनीतिक मुद्दों के साथ-साथ ओवैसी ने जातीय जनगणना को लेकर भी अपनी बात मजबूती से रखी। उन्होंने कहा:

“जातीय जनगणना होनी चाहिए ताकि यह साफ हो सके कि देश में कौन सी जातियां अभी भी वंचित और पिछड़े हैं। OBC को केवल 27% आरक्षण देना न्याय नहीं है। यह रिपोर्ट 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले आनी चाहिए। भाजपा बताए कि इसकी शुरुआत कब होगी?”

AIMIM की रणनीति और भविष्य की तैयारी

AIMIM इस बार बिहार चुनाव में पूरी तैयारी के साथ उतरना चाहती है। सीमांचल के अलावा पार्टी की निगाहें कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया जैसे जिलों पर भी टिकी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

ओवैसी के हालिया बयानों से साफ है कि AIMIM इस बार सिर्फ सीटें नहीं, बल्कि राजनीतिक सम्मान और प्रभाव भी वापस पाना चाहती है, जो 2020 के चुनाव के बाद विधायकों के टूटने से प्रभावित हुआ था।

राजनीतिक समीकरणों में हलचल

ओवैसी की सीमांचल में एंट्री से न केवल RJD, बल्कि कांग्रेस और महागठबंधन के अन्य दलों की भी चिंता बढ़ना तय है। AIMIM का प्रभाव विशेषकर मुस्लिम मतदाताओं के बीच है, और सीमांचल की कई सीटों पर वोटों का बंटवारा महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है।

नज़र बिहार पर, लेकिन निशाना दिल्ली तक

AIMIM प्रमुख के हालिया बयानों और आक्रामक तेवरों से यह साफ है कि उनकी नजरें सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं हैं। वह 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले खुद को एक मजबूत राष्ट्रीय विकल्प के रूप में भी पेश करना चाहते हैं, खासकर अल्पसंख्यक और वंचित वर्गों की आवाज के रूप में।

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