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भागलपुर।पूर्वी बिहार, कोसी-सीमांचल के मरीजों के लिए जीवनरेखा माने जाने वाले मायागंज अस्पताल में इलाज की स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन जैसी अहम जांचें पुरानी और आउटडेटेड मशीनों से की जा रही हैं। इससे मरीजों को न सिर्फ सही इलाज मिलने में परेशानी हो रही है, बल्कि कई मामलों में रोग की सटीक पहचान भी नहीं हो पा रही है।

10 से 14 साल पुरानी मशीनों से जांच

मौजूदा समय में रेडियोलॉजी विभाग में 6 अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं। इनमें से दो मशीनें 14 साल (2011 में खरीदी गई) और चार मशीनें 10 साल (2015 की खरीद) पुरानी हैं। हर दिन 100 से ज्यादा मरीजों की जांच इन्हीं मशीनों से की जाती है। लेकिन मशीनें बार-बार गर्म होकर बंद हो जाती हैं, जिससे जांच प्रक्रिया बाधित होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इन मशीनों की रिपोर्ट की गुणवत्ता भी काफी कमजोर हो गई है।

सीटी स्कैन मशीन भी 11 साल पुरानी

रेडियोलॉजी विभाग में लगी सीटी स्कैन मशीन 2014 में खरीदी गई थी, जो अब तकनीकी रूप से आउटडेटेड हो चुकी है। पिछले 11 वर्षों में इससे 80 हजार से ज्यादा मरीजों की जांच हो चुकी है और अस्पताल प्रशासन ने इससे करीब 6 करोड़ रुपये की कमाई भी की है। बावजूद इसके अब यह मशीन क्लियर इमेज नहीं दे पा रही है।

नई मशीन की मांग तीन साल से लंबित

रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सचिन कुमार सिंह के अनुसार, करीब साढ़े तीन साल पहले विभाग में दूसरी सीटी स्कैन मशीन लगाने का निर्णय लिया गया था। तत्कालीन अधीक्षक डॉ. असीम कुमार दास ने इस बाबत बीएमएसआईसीएल को पत्र भेजकर मांग भी की थी, लेकिन यह प्रोजेक्ट आज तक अधर में है।

मरीजों की बढ़ती परेशानी

अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों और परिजनों ने बेहतर मशीन और सुविधाओं की मांग उठाई है। मरीजों का कहना है कि गंभीर बीमारियों की सटीक जांच और रिपोर्ट समय पर न मिलने से उनकी जान जोखिम में पड़ रही है।