
पटना, 20 जून।बिहार सरकार के सतत प्रयासों से राज्य में जैविक खेती को नया आयाम मिला है। गंगा नदी के किनारे बसे 13 जिलों में बनाए गए जैविक कॉरिडोर में अब हजारों एकड़ भूमि पर रसायन मुक्त खेती की जा रही है। यह पहल न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि गंगा नदी की जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा रही है।
2020 में हुई थी योजना की शुरुआत
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2020-21 में इस योजना की शुरुआत की गई थी। प्रारंभिक सफलता को देखते हुए इस योजना को 2025 तक विस्तार दिया गया है।
योजना का उद्देश्य था—
- रसायनों के अत्यधिक उपयोग को रोकना
- मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखना
- गंगा नदी में रसायनों के बहाव को नियंत्रित करना
- किसानों की आमदनी में वृद्धि करना
20,000 से अधिक किसान जुड़ चुके हैं योजना से
अब तक राज्य के 20,000 से अधिक किसान इस योजना से जुड़ चुके हैं और करीब 19,594 एकड़ भूमि पर जैविक खेती कर रहे हैं।
किसानों को आर्थिक मदद भी मिल रही है:
- प्रथम वर्ष: ₹11,500 प्रति एकड़ का अनुदान
- द्वितीय व तृतीय वर्ष: ₹6,500 प्रति एकड़ का अनुदान
जैव विविधता और पारिस्थितिकी संरक्षण को मिल रहा बढ़ावा
कॉरिडोर के माध्यम से खेती में रसायनों के प्रयोग में भारी कमी आई है, जिससे गंगा नदी के पारिस्थितिक तंत्र को लाभ हो रहा है। अब खेतों से बहकर गंगा में पहुंचने वाले रसायनिक अपशिष्टों की मात्रा घटी है। साथ ही, मिट्टी की उर्वरता बनी हुई है और किसान जहरीले रसायनों से मुक्त खाद्य पदार्थ उगा रहे हैं।
जैविक खेती को मिल रहा है क्लस्टर मॉडल का समर्थन
राज्य सरकार द्वारा जैविक खेती को क्लस्टर मॉडल के तहत बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसानों को सामूहिक रूप से लाभ मिल रहा है। यह मॉडल खेती के परंपरागत तरीकों से हटकर एक आधुनिक, पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धति को प्रोत्साहित कर रहा है।
किन जिलों में बना है जैविक कॉरिडोर
जिन 13 जिलों में जैविक कॉरिडोर बनाया गया है, वे हैं:
बक्सर, भोजपुर, पटना, नालंदा, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर और कटिहार।
पर्यावरण और कृषि के संतुलन का उदाहरण
यह जैविक कॉरिडोर योजना आज न केवल बिहार के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और जलवायु-संवेदनशील खेती का राष्ट्रीय मॉडल बन चुकी है। बिहार की यह पहल अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनती जा रही है।