
अयोध्या की तर्ज पर सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में होगा भव्य निर्माण, नौ सदस्यीय समिति को सौंपी गई जिम्मेदारी
पटना, 27 जून।बिहार सरकार ने सीतामढ़ी जिले के पुनौरा धाम में माता जानकी के भव्य मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया को औपचारिक रूप देते हुए “श्री जानकी जन्म भूमि पुनौरा धाम मंदिर न्यास समिति” का गठन कर दिया है। यह मंदिर अयोध्या के श्रीराम मंदिर की तर्ज पर निर्मित किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम, 1950 की धारा-32 की उपधारा (5) के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
मुख्य सचिव होंगे समिति के अध्यक्ष, विकास आयुक्त उपाध्यक्ष
सरकार द्वारा गठित इस न्यास समिति के अध्यक्ष राज्य के मुख्य सचिव होंगे, जबकि उपाध्यक्ष के रूप में विकास आयुक्त को नामित किया गया है। समिति के कुल नौ सदस्य होंगे, जिसमें विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और स्थानीय प्रशासन के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। समिति के गठन की अधिसूचना विधि विभाग द्वारा जारी कर दी गई है और यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।
समिति का यह होगा स्वरूप
गठित न्यास समिति में निम्नलिखित सदस्यों को शामिल किया गया है:
- अध्यक्ष: मुख्य सचिव, बिहार
- उपाध्यक्ष: विकास आयुक्त, बिहार
- सचिव: जिलाधिकारी, सीतामढ़ी
- कोषाध्यक्ष: उप विकास आयुक्त, सीतामढ़ी
- सदस्य:
- पुनौरा धाम मठ के महन्थ
- पर्यटन विभाग के अपर मुख्य सचिव / प्रधान सचिव / सचिव
- पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव / प्रधान सचिव / सचिव
- नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर मुख्य सचिव / प्रधान सचिव / सचिव
- तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त
बैंक खाते का संचालन सचिव और कोषाध्यक्ष करेंगे
इस समिति के अंतर्गत मंदिर निर्माण से जुड़ी वित्तीय गतिविधियों की निगरानी भी सुनिश्चित की गई है। समिति के नाम से खोले गए बैंक खाते का संचालन सचिव (जिलाधिकारी, सीतामढ़ी) और कोषाध्यक्ष (उप विकास आयुक्त, सीतामढ़ी) के स्तर से संयुक्त रूप से किया जाएगा।
आस्था के केंद्र पुनौरा धाम को मिलेगा भव्य स्वरूप
पुनौरा धाम को माता जानकी की जन्मस्थली माना जाता है और यह स्थल धार्मिक, सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंदिर निर्माण की इस पहल से न केवल आस्था को नया आयाम मिलेगा, बल्कि यह स्थान धार्मिक पर्यटन के बड़े केंद्र के रूप में भी विकसित होगा।
सरकार की यह पहल धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जो जनभावनाओं के अनुरूप है और क्षेत्रीय विकास को भी गति देगी।