चमचमाती सड़कें देश में बिहार की पहचान बन रही हैं। सड़कों के रखरखाप को लेकर भी सरकार गंभीर है। अब सरकार ने निर्णय लिया है कि ग्रामीण सड़कों का सात वर्ष तक रखरखाव करना होगा। मंत्रिपरिषद से स्वीकृति के बाद 11 हजार 251 सड़कों का रखरखाव करने की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसकी कुल लंबाई 19 हजार 867 किलोमीटर होगी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 17 हजार 266 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस प्रस्ताव की मंजूरी मंत्रिपरिषद से मिलने के पांच दिन बाद ही निविदा प्रक्रिया शुरू हो गई है।
दरअसल, राज्य सरकार ग्रामीण सड़कों को भी राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाइवे की तरह मेंटेन रखना चाहती है। योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ठेकेदारों को सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है। गुणवत्ता के साथ रखरखाव में कमी पर संवेदकों पर कार्रवाई होगी। उनके मासिक भुगतान में भी कटौती की जाएगी।
योजना की समीक्षा मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा स्वयं कर रहे हैं। सड़कों के गुणवत्तापूर्ण रखरखाव और समय पर कार्य पूरा करने को प्राथमिकता दी गई है। सरकार चाहती है कि अप्रैल 2025 की शुरुआत तक निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। 15 जून तक सभी सड़कों का प्रारंभिक मरम्मत कार्य संपन्न कर लेने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान सड़क की सतह को मजबूती देने का कार्य किया जाएगा।
सरकार इस परियोजना में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रही है। सभी सड़कों को जियो टैग से जोड़ा जाएगा। इससे उनकी स्थिति की ऑनलाइन निगरानी संभव होगी। यदि किसी सड़क पर गड्ढे बनते हैं या मरम्मत कार्य में लापरवाही होती है तो स्थानीय लोग हमारा बिहार हमारी सड़क मोबाइल एप के माध्यम से शिकायत भी कर सकते हैं। इस परियोजना से ग्रामीण इलाकों में यातायात सुगम होगा, जिससे किसानों को अपने उत्पाद आसानी से बाजार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे।