भागलपुर, 15 जुलाई 2025 –भागलपुर जिले के कजरैली थाना क्षेत्र से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो समाज, रिश्तों और प्रेम की जटिलताओं पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। एक युवती ने प्रेम विवाह किया, लेकिन इस निर्णय के कारण उसका खुद का परिवार बिखर गया और सबसे अधिक प्रभावित हुआ उसका चार साल का मासूम बेटा, जो अपनी मां की गोद के लिए तरसता रह गया।
7 साल पुराना रिश्ता, टूटता हुआ परिवार
मोनी कुमारी (21) और मिथिलेश यादव (23) एक ही गांव के रहने वाले हैं। दोनों के बीच पिछले सात साल से प्रेम संबंध थे। मोनी की मां सीता देवी बताती हैं कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी बांका जिले के अमरपुर में एक युवक से सात साल पहले कर दी थी, इस उम्मीद में कि शादी के बाद वह अपने प्रेम को भूलकर गृहस्थ जीवन में रम जाएगी।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शादी के बाद भी मोनी और मिथिलेश के बीच मुलाकातें होती रहीं। कई बार जब मोनी मायके आती, तो दोनों चोरी-छिपे मिलते। जब वह मायके नहीं आ पाती, तो मिथिलेश कभी-कभी उसके ससुराल जाकर भी मिल लेता था।
शादी के कुछ साल बाद मोनी को बेटा हुआ। परिवार को लगा कि अब वह स्थिर हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मोनी का प्रेम-प्रसंग जारी रहा। एक साल पहले उसकी दूसरी संतान—एक बेटी—का जन्म हुआ। इसके बाद मोनी ने दावा किया कि वह बेटी मिथिलेश की संतान है।
ससुराल वालों ने भेजा मायके, मां ने लगाई शर्त
मोनी के प्रेम-प्रसंग की जानकारी जब ससुराल वालों को मिली तो उन्होंने उसे वापस मायके भेज दिया। मां सीता देवी ने बेटी को समझाने की कोशिश की लेकिन मोनी अड़ी रही कि वह अब अपने पति के पास नहीं जाएगी और मिथिलेश से ही विवाह करेगी।
सीता देवी बताती हैं कि उन्होंने तय कर लिया था कि जब भी दोनों को रंगेहाथों पकड़ेगी, उसी वक्त उनकी शादी करा देंगी। शनिवार की रात ऐसा ही हुआ। मिथिलेश, मोनी से मिलने उसके घर आया। तड़के सुबह 3 बजे सीता देवी ने संदिग्ध हरकतें देखीं। जब उन्होंने बेटी के कमरे में झांका तो देखा कि पलंग के नीचे कोई छिपा है। मोनी ने खुद मान लिया कि उसका प्रेमी मिथिलेश वहीं है।
इसके बाद सीता देवी ने तुरंत घर में रखा सिंदूर उठाया और बेटी की मांग भरवा दी। यहीं से शुरू हुई इस प्रेम कहानी की नई और पेचीदा शुरुआत।
प्रेमी ने साथ रखने से किया इनकार, फिर पुलिस ने दिया दबाव
शादी के बाद भी मिथिलेश ने मोनी को अपने घर ले जाने से साफ इनकार कर दिया। उसका कहना था कि वह मर जाएगा लेकिन उसे अपने घर नहीं ले जाएगा। इसके बाद सीता देवी ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची, दोनों को थाने लाई, और पूछताछ की।
थाने में पुलिस की सख्ती के बाद मिथिलेश ने मान लिया और कहा कि उसका घर छोटा है, वहां माता-पिता रहते हैं, इसलिए वह मोनी को किराए के मकान में रखेगा और वह खुद भी वहीं रहेगा।
बेटे के साथ नहीं गई मां, मासूम ने कहा – ‘मैं मम्मी के साथ रहना चाहता हूं’
मोनी जब अपने प्रेमी के साथ नए घर में रहने चली गई, तो वह अपनी छोटी बेटी को साथ ले गई, लेकिन चार साल के बेटे को उसकी नानी के पास छोड़ गई।
उस मासूम का दिल टूट चुका है। वह बार-बार कहता है—
“मम्मी मुझे छोड़ कर चली गई, मैं उनके साथ रहना चाहता हूं। पापा तो बहुत दिनों से आते नहीं, मम्मी मेरी बहन को भी अपने साथ ले गई। मैंने क्या गलती की?”
उस बच्चे की आँखों में आंसू हैं, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं।
मौन है समाज, असहाय हैं रिश्ते
यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है—
- क्या प्रेम का अधिकार रिश्तों की ज़िम्मेदारियों से बड़ा है?
- क्या एक महिला को अपने जीवनसाथी का चुनाव करने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए, भले ही उसका अतीत एक गृहस्थ जीवन हो?
- और सबसे बड़ी बात—क्या बच्चों की भावनाएं और मानसिक स्थिति इन निर्णयों में कहीं नहीं गिनी जाती?
कजरैली का यह मामला सिर्फ एक प्रेम कहानी या पारिवारिक विवाद नहीं है, यह उस सामाजिक संक्रमण की तस्वीर है, जहां आधुनिक सोच, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पारिवारिक जिम्मेदारियां आमने-सामने खड़ी हैं।
जहां एक तरफ मोनी अपनी पसंद से जीवन जीना चाहती है, वहीं उसका मासूम बेटा बस इतना जानता है कि उसे अपनी मां की जरूरत है।
सवाल यह नहीं कि कौन सही है और कौन गलत… सवाल यह है कि इस सबके बीच जो टूटा है, वह है एक मासूम का बचपन।
