अगुवानी घाट पुल के दो बार गिरने के बाद बिहार सरकार की आलोचना हुई, लेकिन दोषी एजेंसी पर अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री और डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए थे। हालांकि, विजय सिन्हा के विभाग परिवर्तन के बाद मामला कुछ धीमा पड़ा।
इस बीच, पथ निर्माण विभाग ने 5 मई 2025 को एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जिसका उद्देश्य अगुवानी घाट पुल निर्माण में लापरवाही बरतने वाले संवेदक, इंजीनियर और अन्य अभियंताओं की जिम्मेदारी तय करना है।
जांच समिति की अध्यक्षता विभाग के सचिव करेंगे, जबकि विशेष सचिव एवं पुल निर्माण निगम के अध्यक्ष और कार्य प्रबंधन प्रमुख सदस्य होंगे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सचिवों में से कौन इस समिति का नेतृत्व कर रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक, मुख्य सचिव बिहार ने 11 अप्रैल को इस मामले की समीक्षा बैठक की थी और विधि सम्मत कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ अनुशासनिक और विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
यह समिति वही अधिकारी भी शामिल कर रही है, जो पहले इस पुल निर्माण से जुड़े रहे हैं, जिससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं।
अब देखना होगा कि इस जांच से अगुवानी घाट पुल गिरने के मामले में कितनी पारदर्शिता और सख्ती देखने को मिलती है।