
नई दिल्ली। वर्ष 2025 के शेष महीनों में महंगाई दर के कम रहने की संभावना जताते हुए एचएसबीसी रिसर्च ने कहा है कि इससे भारतीय परिवारों की वास्तविक क्रय शक्ति में सुधार होगा, जबकि कॉर्पोरेट क्षेत्र को इनपुट लागत में राहत मिलेगी। सोमवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया कि लगभग 2.5% की अनुमानित औसत मुद्रास्फीति विकास को समर्थन देने में मदद करेगी।
खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण संभव, कोर मुद्रास्फीति भी सीमित
रिपोर्ट में सार्वजनिक अन्न भंडारों की स्थिति और अनुकूल मानसून की संभावना के चलते खाद्य मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने की उम्मीद जताई गई है। साथ ही, कमोडिटी कीमतों में गिरावट, धीमी वैश्विक वृद्धि, मजबूत रुपया और चीन से आयातित अवस्फीति के चलते कोर मुद्रास्फीति भी नियंत्रित रहने का अनुमान है।
राजकोषीय घाटे पर दबाव, लेकिन ऑफसेटिंग कारक मौजूद
रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2025-26 के राजकोषीय घाटे को लेकर कहा गया है कि कम नाममात्र जीडीपी वृद्धि, उच्च रक्षा व्यय और प्रत्यक्ष कर में उछाल कुछ दबाव पैदा कर सकते हैं। हालांकि, इसे संतुलित करने वाले कुछ प्रमुख कारक भी सामने आए हैं:
- आरबीआई का 2.7 ट्रिलियन रुपए का लाभांश
- वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट से उत्पाद शुल्क बढ़ाने की संभावना
एचएसबीसी का मानना है कि यदि सरकार तेल से मिली बचत का आधा हिस्सा पंप कीमतों में कटौती के बजाय राजस्व सृजन में लगाए, तो यह राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने और विकास समर्थन के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने में मददगार होगा।
मार्च तिमाही में गतिविधियों में तेजी, ग्रामीण खपत में उछाल
रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 तिमाही में 66% आर्थिक संकेतकों ने सकारात्मक प्रदर्शन किया, जो पिछली दो तिमाहियों की तुलना में बेहतर है। ग्रामीण खपत में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, जिसका श्रेय निम्नलिखित को दिया गया:
- राज्य सरकारों का पूंजीगत व्यय
- अच्छी रबी फसल
- उच्च वास्तविक ग्रामीण मजदूरी
- ग्रामीण व्यापार की बेहतर स्थिति
वहीं शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की उत्पादन और आयात दर अपेक्षाकृत नरम बनी रही।
एप्रिल संकेतकों में भी सकारात्मक रुझान
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अप्रैल 2025 के अब तक प्राप्त डेटा में 64% संकेतक सकारात्मक रुझान दिखा रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आगे भी स्थिर गति से आगे बढ़ने की ओर अग्रसर है।