नई दिल्ली।भारत सरकार का गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) प्लेटफॉर्म सार्वजनिक खरीद के क्षेत्र में पारदर्शिता, समावेशिता और दक्षता लाने का एक सफल उदाहरण बन चुका है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म 1.6 लाख से अधिक सरकारी खरीदारों को 23 लाख विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं से जोड़ता है, और ‘विकसित भारत 2047’ की दिशा में एक अहम भूमिका निभा रहा है।
भ्रष्टाचार पर प्रहार, छोटे व्यवसायों को अवसर
2016 में शुरू किए गए जीईएम ने पारंपरिक आपूर्ति तंत्र की अपारदर्शिता को खत्म कर स्टार्टअप, MSME, महिला उद्यमियों और ग्रामीण क्षेत्रों के व्यवसायों को प्रतिस्पर्धी मंच प्रदान किया है। इससे भ्रष्टाचार में कमी आई है और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है।
रिकॉर्ड लेनदेन और तेज़ी से बढ़ता कारोबार
अब तक जीईएम पर 13.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन हो चुके हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा 5.43 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया और वर्तमान वर्ष में 7 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है। आने वाले वर्षों में यह पोर्टल दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक खरीद मंच बनने की ओर अग्रसर है।
समावेशिता और न्यायसंगत विकास
जीईएम पर विशेष स्टोरफ्रंट जैसे ‘स्टार्टअप रनवे’ और ‘वुमनिया’ ने छोटे एवं महिला नेतृत्व वाले व्यवसायों की दृश्यता और भागीदारी को बढ़ाया है। कुल कारोबार का 38% MSME और 4% महिला उद्यमों से हुआ है। अब तक 30,000 स्टार्टअप्स और 1.81 लाख महिला उद्यमियों ने क्रमश: 38,500 करोड़ और 50,000 करोड़ रुपये का व्यवसाय किया है।
बड़ी आर्थिक बचत और सुविधा
जीईएम के जरिए ऑर्डरों पर 33% से 96% तक की बचत दर्ज की गई है। विश्व बैंक के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म औसतन 9.75% की कीमत में कमी लाने में सक्षम रहा है, जिससे अब तक 1.15 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित बचत हुई है। हाल ही में लेनदेन शुल्क में भी कटौती की गई है, जिससे छोटे विक्रेताओं को राहत मिली है।
तकनीकी नवाचार और एआई इंटीग्रेशन
जीईएम अब एआई-संचालित चैटबॉट ‘GeM AI’, वॉयस कमांड और स्थानीय भाषाओं में सपोर्ट के साथ व्यापार प्रक्रिया को सरल बना रहा है। साथ ही GeM सहाय 2.0 के जरिए 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए फाइनेंसिंग सुविधा भी प्रदान की जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ मिशन के अनुरूप, जीईएम एक ऐसा मंच बन चुका है जो न केवल सरकारी खरीद को पारदर्शी बना रहा है, बल्कि समाज के हाशिए पर खड़े उद्यमियों को मुख्यधारा में लाने का कार्य भी कर रहा है। यह डिजिटल पहल भारत की आर्थिक प्रगति और समावेशी विकास की मजबूत आधारशिला बन चुकी है।