
तैराकी, योग, मलखम समेत 7 खेलों की प्रतियोगिता, खिलाड़ियों और दर्शकों में दिखा उत्साह
गया/पटना, 14 मई:अध्यात्म और मोक्ष की भूमि गया ने इस बार एक नया इतिहास रच दिया। पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स–2025 का आयोजन गया में हुआ, जिसमें देशभर के 18 से अधिक राज्यों के युवा खिलाड़ियों ने भाग लिया। प्रतियोगिताएं गया के दो प्रमुख स्थानों—बिपार्ट खेल परिसर और बोधगया स्थित आईआईएम कैंपस—में आयोजित की गईं।
खेलों में तैराकी, खो-खो, थानगाट, योग, गतका, मलखम और कलारीपट्टु जैसी पारंपरिक और आधुनिक विधाएं शामिल रहीं। समापन 14 मई को हुआ।
खेल और पर्यटन का अनोखा संगम
बौद्ध धर्म की वैश्विक स्थली और पिंडदान की परंपरा के लिए प्रसिद्ध गया अब खेलों के आयोजन के लिए भी एक नई पहचान बना रहा है। होटल व्यवसायियों और स्थानीय व्यापारियों के मुताबिक, इस आयोजन से शहर में पर्यटकों के एक नए वर्ग—युवाओं—का आगमन हुआ, जिससे होटल, रेस्टोरेंट, दुकानदार और टैक्सी सेवाओं को जबरदस्त लाभ मिला। बुद्ध पूर्णिमा के मुकाबले इस बार की आय दो से तीन गुना अधिक रही।
बिपार्ट बना राष्ट्रीय खेल हब
बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (बिपार्ट) परिसर में आधुनिक खेल सुविधाओं से लैस एक भव्य स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स है। इसमें ओलंपिक साइज का 30 मीटर लंबा स्वीमिंग पूल, फुटबॉल ग्राउंड, स्प्रिंट ट्रैक, साइक्लिंग और जॉगिंग ट्रैक के साथ-साथ वॉलीबॉल, बास्केटबॉल और लॉन टेनिस कोर्ट मौजूद हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उद्घाटित स्वीमिंग पूल ने राष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरकर तैराकी की प्रतियोगिताओं की शानदार मेज़बानी की। वहीं इंडोर खेलों के लिए ‘मेजर ध्यानचंद खेल परिसर’ में बैडमिंटन, टेबल टेनिस, स्नूकर और 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग की सुविधाएं भी मौजूद हैं।
बोधगया में भी दिखी खेलों की छाप
आईआईएम बोधगया के विस्तृत परिसर में जर्मन हैंगर लगाकर योग और मलखम जैसी प्रतियोगिताएं कराई गईं। खिलाड़ियों के ठहरने की व्यवस्था स्थानीय होटलों और विश्रामगृहों में की गई थी, जबकि परिवहन के लिए एसी बसें चलाई गईं।
बिहार के खिलाड़ियों ने किया शानदार प्रदर्शन
खेलो इंडिया यूथ गेम्स के तहत गतका प्रतियोगिता में बिहार की टीम ने 9 पदक जीतकर कीर्तिमान रच दिया। योग समेत अन्य विधाओं में भी राज्य के खिलाड़ियों ने सराहनीय प्रदर्शन किया।
गया ने इस आयोजन से यह सिद्ध कर दिया कि यह न सिर्फ आस्था की भूमि है, बल्कि खेलों के लिए भी एक उपयुक्त मंच बन सकती है। खिलाड़ियों, आयोजकों और स्थानीय नागरिकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि ऐसे आयोजनों से बिहार का सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य सशक्त होगा।