
शसशक्तिकरण की शुरुआत होती है— अधिकारों, सेवाओं, सुरक्षा और अवसरों तक पहुँच से
03 जुलाई 2025 | नई दिल्ली : बीते एक दशक में, मोदी सरकार की प्रतिबद्धता ने इस पहुँच को नए सिरे से परिभाषित किया है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय इस परिवर्तन की अगुवाई करते हुए, विकसित भारत @2047 के विजन को साकार करने में जुटा है। मंत्रालय द्वारा योजनाओं में प्रौद्योगिकी का समावेश कर सेवाओं को तेज़, पारदर्शी और प्रभावी बनाया गया है।
डिजिटल पहुँच का नया युग
आज सशक्त महिलाएँ, सशक्त भारत महज़ नारा नहीं, एक व्यवहारिक सच्चाई बन चुका है। डिजिटल अवसंरचना, रियल-टाइम डेटा और उत्तरदायी शासन ने असंभव को संभव बना दिया है।
मंत्रालय ने पोषण, शिक्षा, कानूनी सुरक्षा और अधिकारों तक पहुँच को तकनीकी उपकरणों के ज़रिए मजबूत किया है। आंगनवाड़ी केंद्रों के आधुनिकीकरण, पोषण ट्रैकर और मोबाइल आधारित मॉनिटरिंग के ज़रिए देश के लाखों महिलाओं और बच्चों तक सेवाएं पहुँच रही हैं।
सक्षम आंगनवाड़ी: नई पीढ़ी की बुनियाद
देश के 2 लाख से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों को स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल टूल्स से सुसज्जित किया जा रहा है। वहीं 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों को पोषण ट्रैकर से जोड़ा गया है, जिससे रियल-टाइम डेटा एंट्री, कार्य निष्पादन की निगरानी और नीति निर्माण में मदद मिल रही है।
आज 10.14 करोड़ से अधिक लाभार्थी इस प्रणाली से जुड़े हैं, जिनमें गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं, बच्चे और किशोरियाँ शामिल हैं।
पारदर्शिता और सुरक्षा में तकनीकी सुधार
- फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम के माध्यम से पूरक पोषण कार्यक्रम में लीकेज को रोका गया है।
- शी-बॉक्स पोर्टल के ज़रिए कार्यस्थलों पर महिलाओं के लिए यौन उत्पीड़न के मामलों में शिकायत दर्ज करना सरल हुआ है।
- मिशन शक्ति ऐप महिलाओं को वन स्टॉप सेंटर से जोड़कर तत्काल सहायता उपलब्ध कराता है।
पीएम मातृ वंदना योजना में डिजिटल परिवर्तन
पीएमएमवीवाई पूरी तरह डिजिटल प्रणाली पर आधारित है, जो आधार प्रमाणीकरण, मोबाइल पंजीकरण और डैशबोर्ड ट्रैकिंग से जुड़ा है।
अब तक 4 करोड़ से अधिक महिलाओं को 19,000 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता सीधे उनके खातों में पहुँची है।
दूसरी संतान यदि कन्या है, तो 6,000 रुपये की सहायता प्रदान की जा रही है—बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को बल मिलता है।
बाल संरक्षण में क्रांतिकारी बदलाव
CARA पोर्टल और मिशन वात्सल्य डैशबोर्ड जैसे प्लेटफॉर्म गोद लेने की प्रक्रिया, संस्थागत निगरानी और बाल अधिकारों की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
बाल अधिकारों के उल्लंघन पर NCPCR की डिजिटल निगरानी व्यवस्था से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है।
ठोस नतीजे, सशक्त भविष्य
- लिंगानुपात में 2014-15 के 918 से बढ़कर 2023-24 में 930 तक का सुधार
- मातृ मृत्यु दर 130 (2014-16) से घटकर 97 (2018-20) पर आ गई
लेखिका: अन्नपूर्णा देवी, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री
यह नया भारत है— जहाँ नीति और तकनीक का संगम महिलाओं और बच्चों को न केवल लाभार्थी, बल्कि राष्ट्र निर्माण में भागीदार बना रहा है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय आने वाले अमृत काल में तकनीकी सशक्तिकरण, पारदर्शिता और न्यायपूर्ण सेवा प्रदायगी के साथ अग्रसर रहेगा।