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1 जुलाई, 2025 को भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अपने आठ सफल वर्ष पूरे कर रहा है। 2017 में “एक राष्ट्र, एक कर” के दृष्टिकोण के साथ शुरू की गई इस प्रणाली ने भारतीय अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को पूरी तरह से बदल दिया है, जिससे आर्थिक एकीकरण और व्यापार करने में आसानी हुई है।

प्रमुख उपलब्धियाँ
* रिकॉर्ड संग्रह: वर्ष 2024-25 के दौरान जीएसटी का सकल संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.4 प्रतिशत अधिक है। यह अर्थव्यवस्था के बढ़ते औपचारिकीकरण और बेहतर कर अनुपालन को दर्शाता है। मासिक औसत संग्रह 1.84 लाख करोड़ रुपये रहा है।
* सकारात्मक उद्योग प्रतिक्रिया: डेलॉइट की हालिया ‘जीएसटी@8’ रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 85 प्रतिशत उद्योग जगत के उत्तरदाताओं का जीएसटी संबंधी अनुभव सकारात्मक रहा है। यह लगातार चौथा वर्ष है जब उद्योग का भरोसा इस प्रणाली पर बढ़ा है।
* करदाताओं की संख्या में वृद्धि: सक्रिय जीएसटी करदाताओं की संख्या बढ़कर 1.51 करोड़ से अधिक हो गई है, जो प्रणाली की बढ़ती स्वीकार्यता और कर आधार के विस्तार को दर्शाता है।
जीएसटी की यात्रा और संरचना
जीएसटी ने उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट जैसे विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को एक ही कर प्रणाली में समेट दिया। यह एक गंतव्य-आधारित कर है जो उपभोग के बिंदु पर लगाया जाता है। इसकी दोहरी संरचना में केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) शामिल हैं, जबकि अंतर-राज्यीय व्यापार के लिए एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) लागू होता है।
वर्तमान में जीएसटी की चार मुख्य दरें हैं: 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। सोने, चांदी और हीरे पर विशेष दरें (3 प्रतिशत, 1.5 प्रतिशत, 0.25 प्रतिशत) लागू होती हैं, और कुछ वस्तुओं पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर भी लगाया जाता है।
जीएसटी के प्रमुख लाभ
जीएसटी ने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ पहुँचाए हैं:
* सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को समर्थन: जीएसटी ने छूट की सीमा को बढ़ाकर (शुरुआत में 20 लाख रुपये से 40 लाख रुपये) और कंपोजिशन स्कीम (1.5 करोड़ रुपये तक के सामान और 50 लाख रुपये तक की सेवाओं के लिए) लागू करके एमएसएमई के लिए अनुपालन को आसान बनाया है। ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) जैसे प्लेटफार्मों ने एमएसएमई की वित्त तक पहुंच में सुधार किया है।
* उपभोक्ताओं को लाभ: विभिन्न करों के हटने और बेहतर अनुपालन के कारण करों की औसत दरों में कमी आई है। अध्ययन बताते हैं कि जीएसटी ने आम परिवारों को मासिक खर्चों में कम से कम चार प्रतिशत की बचत करने में मदद की है, जिससे रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती हुई हैं।
* लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा: जीएसटी ने राज्य की सीमाओं पर ट्रकों की लंबी कतारों को समाप्त कर दिया है, जिससे माल की आवाजाही तेज और अधिक कुशल हो गई है। परिवहन में लगने वाले समय में 33 प्रतिशत से अधिक की बेहतरी हुई है, जिससे कंपनियों की ईंधन लागत में कटौती हुई है और आपूर्ति श्रृंखलाएं सुव्यवस्थित हुई हैं।
जीएसटी परिषद: निर्णय लेने वाली संस्था
जीएसटी परिषद, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करते हैं, जीएसटी व्यवस्था को आकार देने वाली प्रमुख निर्णय लेने वाली संस्था है। अपने गठन के बाद से, परिषद ने 55 बैठकें की हैं और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनमें ई-वे बिल की शुरुआत, रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए दर में राहत, बी2बी लेनदेन के लिए ई-इनवॉयसिंग, और छोटे कारोबारियों के लिए अनुपालन को आसान बनाने हेतु क्यूआरएमपी योजना शामिल हैं। परिषद ने उच्चतम कर स्लैब के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं की संख्या को 227 से घटाकर मात्र 35 कर दिया है।
डेलॉइट सर्वेक्षण से उद्योग का दृष्टिकोण
डेलॉइट की ‘जीएसटी@8’ रिपोर्ट ने भारतीय कारोबार जगत की जीएसटी के प्रति सकारात्मक धारणा की पुष्टि की है। 85 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सकारात्मक अनुभव बताया, जिसका श्रेय सरलीकृत और पारदर्शी कर प्रक्रियाओं, इनपुट टैक्स क्रेडिट के निर्बाध प्रवाह, और डिजिटल प्लेटफार्मों के व्यापक उपयोग को दिया गया। एमएसएमई के बीच सकारात्मक भावना पिछले वर्ष के 78 प्रतिशत से बढ़कर इस वर्ष 82 प्रतिशत हो गई है।

अपनी शुरुआत के आठ वर्ष बाद, जीएसटी भारत के सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों में से एक के रूप में स्थापित हो चुका है। इसने एक साझा राष्ट्रीय बाजार बनाने, व्यापार करने की लागत को कम करने और कर प्रणाली में व्यापक पारदर्शिता लाने में मदद की है। राजस्व संग्रह में निरंतर वृद्धि और उद्योग जगत का मजबूत समर्थन इसकी सफलता को दर्शाता है। जीएसटी अपने नौवें वर्ष में प्रवेश करते हुए व्यवसाय करने में आसानी, बेहतर अनुपालन और व्यापक आर्थिक भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करते हुए और आगे विकसित होने की दिशा में अग्रसर है।