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डॉ. पी.के. मिश्रा ने IIM संबलपुर के दीक्षांत समारोह में छात्रों को किया संबोधित, कहा – “भविष्य विरासत नहीं, निर्माण का विषय है”

ByLuv Kush

अप्रैल 20, 2025
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संबलपुर, ओडिशा। भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) संबलपुर के 9वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने स्नातक छात्रों को “वर्तमान भू-राजनीतिक और आर्थिक संदर्भ में अवसर और चुनौतियां” विषय पर प्रेरणादायी संबोधन दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमृत काल के दृष्टिकोण को आधार बनाते हुए युवाओं से राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।

डॉ. मिश्रा ने कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति “सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन” की प्रक्रिया के माध्यम से संभव है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य केवल एक आर्थिक आकंड़ा नहीं, बल्कि यह करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने, विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, सुरक्षा और डिजिटल सशक्तिकरण के निर्माण का प्रतीक है।

वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की संभावनाएं

डॉ. मिश्रा ने कहा कि हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था संरचनात्मक परिवर्तन से गुजर रही है। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान, संरक्षणवादी नीतियां और बदलते व्यापार पैटर्न नई चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। लेकिन साथ ही, भारत की स्थिति इस बदलते परिदृश्य में मजबूत है। उन्होंने कहा, “भविष्य विरासत में नहीं मिलेगा, इसे हमें स्वयं बनाना होगा।”

भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभाव

उन्होंने भारत की आंतरिक मजबूती जैसे युवा जनसंख्या, तकनीकी नवाचार और अवसंरचना विकास के साथ-साथ वैश्विक प्रभाव जैसे सॉफ्ट पावर, रणनीतिक साझेदारियों और प्रवासी समुदाय की भूमिका को रेखांकित किया।

डॉ. मिश्रा ने यह भी बताया कि भारत 100 से अधिक यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स के साथ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। उन्होंने उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं, डिजिटल अर्थव्यवस्था और उद्योग 4.0 को भारत के विकास के प्रमुख स्तंभ बताया।

हरित भविष्य और सतत विकास

जलवायु परिवर्तन पर भारत की प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि भारत 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जैसे प्रयासों को रेखांकित किया।

IT, फार्मा और डिजिटल इंडिया का योगदान

उन्होंने भारत के 200 अरब डॉलर से अधिक के IT निर्यात और “मेड इन इंडिया” फार्मास्युटिकल उत्पादों को वैश्विक जीवन रेखा बताया। साथ ही, युवाओं से आह्वान किया कि वे ग्लोबल सप्लाई चेन, नवाचार, और डिजिटल इंडिया जैसे क्षेत्रों में नेतृत्व करें।

IIM संबलपुर – परंपरा और आधुनिकता का संगम

डॉ. मिश्रा ने IIM संबलपुर के समकालीन संबलपुरी कला से युक्त अत्याधुनिक परिसर की प्रशंसा की और बताया कि संस्थान प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 2021 में आरंभ हुआ और 2024 में इसका उद्घाटन हुआ। उन्होंने विशेष रूप से पश्चिमी ओडिशा के बुनकरों के लिए चलाए जा रहे उद्यमिता विकास कार्यक्रम की सराहना की।

छात्रों को दिए सफलता के मंत्र

अपने संबोधन में डॉ. मिश्रा ने छात्रों को असफलताओं से न घबराने, बड़े सपने देखने और अपने कौशल पर विश्वास रखने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि प्रबंधन शिक्षा सिर्फ व्यवसायिक दक्षता नहीं, बल्कि नैतिकता, विविधता और परिवर्तन प्रबंधन की भी शिक्षा है।

समापन में दिया वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश

डॉ. मिश्रा ने “वसुधैव कुटुम्बकम” की भावना का उल्लेख करते हुए कहा कि सच्चे नेता वे हैं जो लाभ और पद की सीमाओं से परे सोचते हैं। उन्होंने छात्रों से ऐसे प्रबंधक बनने का आह्वान किया जो समाज, मूल्य और विकास का जिम्मेदारी से नेतृत्व करें।

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