शिक्षा विभाग सूबे के सरकारी स्कूलों में शिक्षक-छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने को लेकर निरीक्षण की व्यवस्था शुरू की है. इसके तहत प्रति दिन विद्यालयों का निरीक्षण किया जाता है. स्कूल से गायब रहने वाले शिक्षकों का वेतन काट दिया जाता है. शिक्षा विभाग प्रति दिन विद्यालय में उपस्थित बच्चों और शिक्षकों का डेटा जारी करता है.
पिछले एक महीने में (ग्रीष्मावकाश) विद्यालयों के निरीक्षण में 10 हजार से अधिक शिक्षक गायब मिले हैं. इन सभी का एक दिन का वेतन काटा गया है. बता दें, इस बार 15 अप्रैल से 15 मई तक विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी थी. हालांकि इस दौरान सभी शिक्षकों को विद्यालय आना था और पढ़ने में कमजोर बच्चों के लिए मिशन दक्ष और विशेष कक्षाएं लेनी थी.
15 अप्रैल से 15 मई तक का है डेटा…
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जब से कमान संभाली है,तभी से व्यवस्था में बदलाव को लेकर काम किया जा रहा है. हालांकि केके पाठक के कई निर्णय विवादों के घेरे में है. अपर मुख्य सचिव के कई आदेशों से विवाद खड़ा हो गया है. वहीं दूसरी तरफ कड़ाई की वजह से सरकारी स्कूलों में शिक्षक-छात्रों की उपस्थिति में काफी सुधार हुआ है.
हालांकि इतनी सख्ती के बाद भी निरीक्षण के दौरान शिक्षक अनुपस्थित मिल रहे. 15 अप्रैल से 15 मई के दौरान सरकारी स्कूलों की मॉनिटरिंग में 10,163 शिक्षक गायब मिले हैं. गायब शिक्षकों का वेतन काट लिया गया है. शिक्षा विभाग की तरफ से जो आंकडे जारी किए गए हैं उसके अनुसार 15 अप्रैल को 291 शिक्षक-शिक्षिकायें अनुपस्थित मिले. वहीं, 18 अप्रैल को 309, 19 को 357, 20 को 485, 22 को 476, 24 को 479, 25 को 411, 26 को 364, 27 को 433, 29 को 413, 30 को 449 शिक्षक गैरहाजिर रहे.
वेतन की हुई कटौती….
वहीं 1 मई को सरकारी छुट्टी थी. 2 मई को 438 टीचर अनुपस्थित रहे. 3 को 483, 4 को 509, 6 को 431,7 को 386, 8 को 427, 9 को 513, 10 को 457, 11 को 533, 13 को 522, 14 को 532 और 15 मई को 465 शिक्षक-शिक्षिकाएं अनुपस्थित रहीं. इस तरह से 15 अप्रैल से लेकर 15 मई तक 23 दिनों में सरकारी स्कूल के 10 हजार शिक्षक एबसेंट रहे. शिक्षा विभाग ने उन सभी के वेतन की कटौती की है.
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