पटना, बिहार।लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने संकेत दिए हैं कि वह अब केंद्र की राजनीति से दूरी बनाकर बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं। एक धार्मिक स्थल पर दर्शन के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “मैं ज्यादा समय केंद्र में नहीं रहना चाहता, मेरा प्रदेश बिहार मुझे बुला रहा है।”
क्या चिराग पासवान बनेंगे NDA का सीएम चेहरा?
चिराग पासवान के इस बयान के बाद बिहार की सियासत में नई हलचल मच गई है। उनकी पार्टी के नेताओं और समर्थकों ने सोशल मीडिया पर “Welcome Chirag” के पोस्टर शेयर कर संकेत दे दिया है कि चिराग अब बिहार की राजनीति में पूरी ताकत झोंक सकते हैं। हालांकि मुख्यमंत्री पद के सवाल पर पार्टी के प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा कि गठबंधन के भीतर यह निर्णय लिया जाएगा, लेकिन चिराग की सक्रियता से पार्टी कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है।
चिराग की बिहार वापसी से किसको होगा नुकसान?
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, जिससे जेडीयू को दो दर्जन सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में अगर चिराग दोबारा पूरी ताकत से मैदान में उतरते हैं, तो यह नीतीश कुमार और जेडीयू के लिए चिंता की बात हो सकती है।
RJD और JDU ने दी प्रतिक्रिया
- RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने तंज कसते हुए कहा कि चिराग पासवान को याद है कि एनडीए ने उनके साथ क्या किया था। उन्होंने कहा, “एनडीए की नाव बिहार में डूब रही है, और चिराग सही समय पर फैसला लेंगे।”
- वहीं जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने चिराग के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि “लोकतंत्र में हर किसी को अपनी राजनीति तय करने का अधिकार है।” उन्होंने कहा कि चिराग की राज्य राजनीति में वापसी का निर्णय पूरी तरह जायज़ है।
‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का विजन
राजनीति में आते ही चिराग पासवान ने ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का विजन पेश किया था। 2014 में पहली बार सांसद बने चिराग, अब तक लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। 2024 में उन्होंने हाजीपुर से जीत दर्ज की और मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री बने।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का मानना है कि चिराग पासवान युवा चेहरा होने के नाते तेजस्वी यादव के विकल्प के तौर पर खुद को स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि “बिहार की राजनीति में अब युवाओं का दौर शुरू हो रहा है। चिराग अपने पिता की विरासत को आगे ले जाना चाहते हैं और उनके लिए मुख्यमंत्री पद अगला बड़ा लक्ष्य हो सकता है।”
क्या 2025 विधानसभा चुनाव में दिखेगा असर?
2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान का यह बयान बहुत अहम माना जा रहा है। अगर वह वाकई बिहार की राजनीति में पूरी ताकत से उतरते हैं, तो यह एनडीए के समीकरणों को बदल सकता है और राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।
निष्कर्ष:
चिराग पासवान की बिहार की ओर वापसी न केवल राजनीतिक समीकरणों को चुनौती दे सकती है, बल्कि एक युवा नेतृत्व के रूप में वह राज्य की राजनीति को नई दिशा देने का दावा भी कर रहे हैं। अब देखना होगा कि 2025 के चुनावी रण में चिराग कितना प्रभाव छोड़ पाते हैं।