पटना: 22 जून 2025:सीबीआई की विशेष अदालत ने मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से जुड़े एक पुराने बैंक धोखाधड़ी मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। पटना स्थित सीबीआई कोर्ट ने 21 जून 2025 को तीन आरोपियों—बारुन कुमार मिश्रा, मोहन जी मिश्रा और दयानंद झा—को दोषी करार देते हुए तीन वर्ष की सश्रम कारावास और कुल चार लाख रुपये के आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई है।
मामले की पृष्ठभूमि
सीबीआई ने यह मामला 14 अगस्त 1991 को दर्ज किया था। आरोप था कि वर्ष 1989-90 के दौरान मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की कहुआ शाखा (दरभंगा) और बहेरा शाखा (मधुबनी) में कार्यरत अधिकारियों ने एक निजी व्यक्ति दयानंद झा के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची। इस साजिश के तहत एचएसएस खाता संख्या 1114 में डेबिट और क्रेडिट प्रविष्टियों में हेराफेरी कर 2,48,642 रुपये की बैंक राशि का गबन किया गया।
दोषी करार दिए गए आरोपी
- बारुन कुमार मिश्रा – तत्कालीन प्रभारी अधिकारी, मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, कहुआ शाखा
- मोहन जी मिश्रा – तत्कालीन शाखा प्रबंधक, मिथिला क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, बहेरा शाखा
- दयानंद झा – निजी व्यक्ति, निवासी दरभंगा
कोर्ट की कार्रवाई
सीबीआई ने मामले की विस्तृत जांच के बाद 30 नवंबर 1994 को दो अलग-अलग आरोप-पत्र दाखिल किए थे।
पहला आरोप-पत्र पटना के विशेष न्यायाधीश, सीबीआई मामलों की अदालत में उपरोक्त तीनों आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया गया। न्यायालय ने विस्तृत सुनवाई के बाद तीनों को दोषी पाया और उन्हें तीन वर्ष के सश्रम कारावास तथा कुल चार लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
दूसरा आरोप-पत्र पटना के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीबीआई मामलों की अदालत में केवल बारुन कुमार मिश्रा के खिलाफ दाखिल किया गया, जिसकी सुनवाई वर्तमान में मुजफ्फरपुर न्यायालय में विचाराधीन है।
यह फैसला एक लंबे समय से लंबित बैंक धोखाधड़ी मामले में न्यायिक प्रक्रिया की निर्णायक प्रगति का उदाहरण है। सीबीआई द्वारा की गई गहन जांच और अदालत की सख्त कार्यवाही ने वित्तीय अपराधों के प्रति कड़ा संदेश दिया है।