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रोहतास, बिहार | 22 जून 2025 – बिहार के रोहतास ज़िले से एक बड़े नकली सिगरेट रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है। सासाराम के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक फैक्ट्री पर छापेमारी कर 7 करोड़ रुपये से अधिक के नकली सिगरेट, रैपर, मसाले और मशीनें बरामद की हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश के दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एक फैक्ट्री का मालिक और दूसरा सुपरवाइजर है।

छापेमारी में मिला पूरा नकली सिगरेट उद्योग

पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि वृंदावन मार्केट के बेसमेंट में एक फर्जी कंपनी चल रही है, जो नाम मात्र की लोकल ब्रांड के रजिस्ट्रेशन पर देश की कई नामी ब्रांड्स की नकली सिगरेट बना रही थी। सूचना मिलते ही पुलिस ने एक विशेष टीम बनाकर छापेमारी की।

छापेमारी के दौरान फैक्ट्री से:

  • 7 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की नकली सिगरेट
  • ब्रांडेड कंपनियों के नकली रैपर
  • सिगरेट निर्माण मशीन
  • बड़ी मात्रा में सिगरेट में भरे जाने वाले सुगंधित मसाले
    बरामद किए गए हैं।

28 मजदूर कर रहे थे काम, दो मुख्य आरोपी गिरफ्तार

फैक्ट्री में करीब 28 मजदूर काम कर रहे थे, जिनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने मौके से सुपरवाइजर राजेश कुमार मिश्रा को हिरासत में लेकर जब पूछताछ की, तो पूरे रैकेट का पर्दाफाश हो गया।

गिरफ्तार आरोपी:

  • गोपाल जी ओझा – फैक्ट्री का मालिक, निवासी सिंदुरिया गांव, नरही थाना, बलिया (उत्तर प्रदेश)
  • राजेश कुमार मिश्रा – सुपरवाइजर, निवासी बड़ागांव, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

एक नहीं, दो जगह छापेमारी: और भी सिगरेट बरामद

पहली छापेमारी बलथुआ स्थित फैक्ट्री में की गई, जहां नकली निर्माण चल रहा था। इसके बाद पुलिस ने वेदा के राजाराम कॉम्प्लेक्स स्थित एक गोदाम में छापा मारा, जहां से लगभग 3 करोड़ रुपये मूल्य की ब्रांडेड कंपनियों की नकली सिगरेट जब्त की गई।

क्या कहा पुलिस अधीक्षक ने?

रोहतास के पुलिस अधीक्षक रौशन कुमार ने बताया:

“लोकल कंपनी के नाम पर रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद इस फैक्ट्री में विभिन्न ब्रांडेड कंपनियों की नकली सिगरेट बनाकर उसे बिहार और आसपास के राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था। हमने फैक्ट्री मालिक और सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर लिया है। बरामद सिगरेट, रैपर, मसाला और मशीनों की कीमत 7 करोड़ से अधिक है।”

नकली सिगरेट से जुड़ी बड़ी साजिश का संकेत

पुलिस अधिकारियों का मानना है कि यह मामला सिर्फ एक जिले या एक गिरोह तक सीमित नहीं हो सकता। यह एक व्यापक अंतरराज्यीय नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। फिलहाल पुलिस मालिक और सुपरवाइजर से पूछताछ कर रही है और गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश जारी है।

निष्कर्ष: जनता की सेहत से हो रहा था खिलवाड़

इस रैकेट का खुलासा यह दर्शाता है कि कैसे लोकल रजिस्ट्रेशन की आड़ में बड़े पैमाने पर ब्रांडेड नकली उत्पाद तैयार कर बाजार में उतारे जा रहे थे, जिससे न केवल कंपनियों को आर्थिक नुकसान पहुंच रहा था, बल्कि जनता की सेहत से भी गंभीर खिलवाड़ किया जा रहा था।

पुलिस अब पूरे नेटवर्क की पड़ताल में जुट गई है और आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां संभव हैं।